मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को चुनौती देने वाले सभी मामलों को दूसरी संवैधानिक पीठ को भेज दिया है। इनमें केंद्र सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 को हटाने की वैधता को चुनौती दी गई है। मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि अयोध्या विवाद मामले की सुनवाई के कारण उसके पास इन मामलों की सुनवाई के लिए समय नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने कहा कि खंडपीठ के पास इतने सारे मामलों की सुनवाई के लिए समय नहीं है, क्योंकि फिलहाल उनकी अध्यक्षता वाली संवैधानिक खंडपीठ अयोध्या विवाद से जुड़े मामले की सुनवाई कर रही है। इसके बाद उन्होंने मामले को दूसरी संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया। ये याचिकाएं कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद, माकपा नेता सीताराम येचुरी, बाल अधिकार कार्यकर्ता एकांक्षी गांगुली, कश्मीर टाइम्स की कार्यकारी संपादक अनुराधा भसीन, डॉक्टर समीर कौल और मलेशिया में रहने वाले एनआरआई बिजनेसमैन की पत्नी आसिफा मुबीन ने दाखिल की हैं।
जस्टिस एन.वी. रमन्ना की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संवैधानिक पीठ इन मामलों की सुनवाई अक्टूबर के पहले सप्ताह से शुरू करेगी। इन याचिकाओं में कश्मीर में इंटरनेट बैन सहित कई तरह की पाबंदियों को चुनौती दी गई है। आजाद की याचिका में कश्मीर जाने और अपने संबंधियों का हालचाल जानने के लिए अदालत से मंजूरी की मांग की गई है, तो येचुरी ने अपनी पार्टी के सहयोगी और माकपा नेता मोहम्मद युसूफ तारिगामी की हिरासत को चुनौती दी गई है।
बाल अधिकार कार्यकर्ता एकांक्षी गांगुली और प्रोफेसर शांता सिन्हा की याचिकाओं में जम्मू-कश्मीर में बच्चों की अवैध हिरासत से जुड़े मामले में सवाल उठाए गए हैं।
मुबीन अहमद शाह की पत्नी आसिफा मुबीन ने अगस्त सात के आदेश को खत्म करने के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर पब्लिक सेफ्टी अधिनियम 1978 की धारा 8(1)(ए) के तहत अपने पति की हिरासत में लिए जाने को चुनौती दी है। उन्होंने कहा कि उनका पति फिलहाल आगरा सेंट्रल जेल में बंद हैं और “गलत तरीके से” उन्हें उनकी आजादी से वंचित किया गया है। समीर कौल ने अस्पताओं में इंटरनेट सुविधाओं की बहाली, तो पत्रकार भसीन ने घाटी में मीडिया की गतिविधियों को बहाल करने के लिए याचिका दाखिल की है। अदालत ने तारिगामी द्वारा दाखिल हालिया याचिका को भी इसी के साथ रखा है।
संविधान पीठ जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर दाखिल कई याचिकाओं की सुनवाई करेगी, जिसमें अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने से जुड़े मामले हैं। इस अनुच्छेद के तहत जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा हासिल था। याचिका में अनुच्छेद के प्रावधानों को खत्म करने के केंद्र सरकार के फैसले और उसके बाद प्रेसिडेंशियल ऑर्डर की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है।
इन याचिकाओं में राज्य को दो केंद्रशासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के तौर पर बंटावरे को भी चुनौती दी गई है।