यूपीएससी परीक्षा में ट्रांसजेंडर श्रेणी, उच्चतम न्यायालय के स्पष्टीकरण के बाद ही बन पाएगी। संघ लोक सेवा आयोग ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय को बताया कि वह सिविल सेवा की परीक्षा में आवेदकों के लिए महिला, पुरष के अलावा तीसरी श्रेणी ट्रांसजेंडर को तीसरे लिंग के रूप में शामिल नहीं कर सकता क्योंकि यह श्रेणी उच्चतम न्यायालय द्वारा अब तक स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं की गई है। यानी तीसरे लिंग के रूप में अभी इस श्रेणी को परिभाषित किया जाना बाकी है।
केंद्र सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पी एस तेजी की पीठ से कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा इस मुद्दे को स्पष्ट किए जाने के बाद वह ट्रांसजेंडरों के लाभ के लिए नियमावली तैयार कर सकता है जिसमें उन्हें आरक्षण प्रदान करना शामिल है।
केंद्र ने कहा कि वह विभिन्न मुद्दों पर स्पष्टीकरण की मांग करते हुए शीर्ष अदालत पहुंचा है, जिनमें ट्रांसजेंडरों की पहचान तथा उन्हें तीसरे लिंग के रूप में कौन प्रमाणित करेगा जैसी बातें शामिल हैं। यूपीएससी और कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने पीठ के समक्ष दायर अपने हलफनामों में ये बातें कही गई हैं। उच्च न्यायालय ने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा स्पष्टीकरण संबंधी केंद्र के आवेदन पर विचार किए जाने के बाद वह इस मामले की सुनवाई करेगा।