पिछले कई दिनों से जेएनयू, डीयू और जामिया जैसे केंद्रीय विश्वविद्यालयों के छात्र नॉन-नेट फेलोशिप बंद करने के यूजीसी के फैसले के खिलाफ #OccupyUGC की मुहिम चला रहे हैं। यह आंदोलन तेजी से देश के अन्य विश्वविद्यालयों तक भी पहुंच रहा है। सोमवार को एक बार फिर तमाम छात्र संगठनों ने यूजीसी पर हल्ला बोल का ऐलान किया था लेकिन रविवार रात को मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक विज्ञप्त्िा जारी कर छात्रों के गुस्से को ठंड़ा करने का प्रयास किया। इससे पहले मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने भी ट्वीट कर नॉन-नेट फेलोशिप को जारी रखने की बात कही थी। लेकिन सरकार की इन कोशिशों के बावजूद आज सैकड़ों आंदोलनकारी छात्र फेलोशिप से जुड़े मुद्दों को लेकर यूजीसी मुख्यालय पहुंचे। मिली जानकारी के अनुसार, अधिकारियों ने प्रदर्शनकारी छात्रों के एक प्रतिनिधिमंडल को बातचीत के लिए बुलाया है।
रविवार शाम मानव संसाधन विकास मंत्रालय की ओर से जारी बयान के मुताबिक, सरकार ने यूजीसी की नेट और नॉन-नेट अनुसंधान फैलोशिप की जांच के लिए एक समीक्षा समिति गठित करने का फैसला किया है। समीक्षा समिति दिसंबर 2015 तक मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। समीक्षा समिति की सिफारिशें चाहे जो हों, नेट और नॉन-नेट की सभी मौजूदा फेलोशिप जारी रहेंगी। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि नॉन-नेट फैलोशिप का लाभ राज्यों के विश्वविद्यालयों तक पहुंचाने के प्रयास भी किए जा रहे हैं।
मंत्रालय के फैसले पर भरोसा किया जाए तो फिलहाल नॉन-नेट फेलोशिप जारी रहेगी लेकिन यह छात्रवृत्ति किन छात्रों को मिलेगी इस बारे में स्थिति स्पष्ट नहीं है। सरकार ने नॉन-नेट फैलोशिप के लिए 'आर्थिक' और 'अन्य' मानदंड तय करने का जिम्मा समीक्षा समिति को सौंपा है। यही असल मुद्दा है। वामपंथी छात्र संगठन आॅल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) ने कहा है कि 26 अक्टूबर को होने वाले #OccupyUGC को गुमराह करने के लिए सरकार और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद झूठ प्रचारित कर रहे हैं। मंत्रालय ने नॉन-नेट फेलोशिप के लिए 'आर्थिक' या 'अन्य' मानदंड अपनाने की बात कही है। यह छात्रवृत्ति का दायरा सीमित करने की कोशिश है। छात्रवृत्ति देने के ये अन्य पैमाने क्या होंगे, इस बारे में स्थिति क्यों स्पष्ट नहीं की जा रही है।
माना जा रहा है सरकार एमफिल और पीएचडी में दाखिला पाने वाले सभी छात्रों को नाॅन-नेट फेलोशिप का लाभ देने के बजाय सिर्फ मेरिट के आधार पर यह छात्रवृत्ति देने की तैयारी कर रही है। आइसा समेत तमाम छात्र संगठन इसके खिलाफ हैं इसलिए उन्होंने #OccupyUGC आंदोलन जारी रखने का ऐलान किया है। प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग है कि नॉन-नेट फेलोशिप बंद करने के यूजीसी के फैसले को रद्द करने की सरकारी सूचना जारी की जाए और बिना किसी भेदभाव के सभी शोध छात्रों को नॉन-नेट फेलोशिप मिले।