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नॉट इन माई नेम: मॉब लिचिंग के खिलाफ देश-विदेश में प्रदर्शन, हिंसा के विरोध में जुटेंगे लोग

देश भर में अल्पसंख्यकों के खिलाफ बढ़ती हिंसा के विरोध में देश-विदेश में कई जगहों पर लोग 28 जून को प्रदर्शन करेंगे।
नॉट इन माई नेम: मॉब लिचिंग के खिलाफ देश-विदेश में प्रदर्शन, हिंसा के विरोध में जुटेंगे लोग

‘नॉट इन माई नेम’ कार्यक्रम के तहत लोगों ने विरोध जताने का फैसला किया है। सोशल मीडिया पर ‘नॉट इन माई नेम’ नाम का इवेंट बनाया गया है। जिसमें हजारों की तादात में लोगों ने देश-विदेश के कई जगहों में एकत्रित होने की बात कही है। सोशल मीडिया पर दिए विवरण के अनुसार यह विरोध प्रदर्शन सभी नागरिकों के लिए हैं। साथ ही पार्टी या संगठन के बैनर के बिना आयोजित किए जाने का जिक्र किया गया है।

विरोध प्रदर्शन के बारे में बताया गया, “देश भर में मुसलमानों के खिलाफ बढ़ती हुई घातक हिंसा के खिलाफ हम सारे नागरिक विरोध प्रदर्शन के लिए इकठ्ठा होंगें।”  कुछ ही दिन पहले हुई एक घटना से लोग काफी आक्रोशित हैं। इस प्रदर्शन में खासतौर पर इसका जिक्र किया गया है। इवेंट पेज पर प्रदर्शित जानकारी के मुताबिक, हाल ही में सोलह वर्षीय जुनैद के साथ जो दिल्ली से चली ट्रैन में 23 जून 2017 को हुआ, वह एक लम्बी और भयानक श्रृंखला का हिस्सा है।

बता दें कि दिल्ली से 20 किलोमीटर दूर बल्लभगढ़ के पास भीड़ ने चार मुस्लिम युवकों की चलती ट्रेन में पिटाई कर दी थी। इस वारदात में जुनैद की मौत हो गई। जुनैद से पहले भीड़ द्वारा अखलाक, पहलू खान जैसे लोगों को निशाना बनाया गया। वहीं मंगलवार को झारखंड के गिरीडीह जिले मे मुस्लिम शख्स के घर के बाहर कथित रूप से मृत गाय मिलने के बाद पिटाई का मामला सामने आया।

कहां-कहां होंगे प्रदर्शन?

भीड़ द्वारा अल्पसंख्यकों को निशाना बनाने को लेकर लोग काफी विरोध जता रहे हैं। वहीं इस प्रदर्शन को भारत के विभिन्न इलाकों में समर्थन मिलता दिख रहा है। जानकारी के मुताबिक प्रमुख रूप से इलाहाबाद, बैंगलुरू, चंडीगढ़, दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, कोच्ची, कोलकाता, लखनऊ, मुबंई, पटना, त्रिवेद्रंम, पुणे जैसे बड़े शहरों में शाम 6 बजे से 9 बजे के बीच यह आयोजित किया जाएगा। वहीं भारत के अलावा विदेशों में भी लोगों ने विरोध जताने का निर्णय लिया है। अमेरिका के बोस्टन और यूरोप के लंडन में भी इसके लिए लोग जुटेंगे।

कविता और संगीत के माध्यम से करेंगे अभिव्यक्त

कार्यक्रम के बारे में बताया गया है कि लोग देश के नागरिकों के रूप में एकजुट होंगें और  कविता तथा संगीत के माध्यम से, हत्यायों और उसके पीछे की सांप्रदायिक विचारधारा का वे सरासर विरोध करते हैं। बताय गया “अगर अब नहीं तो फिर कब? आखिर जीवन और समानता का अधिकार भारत के संविधान में निहित एक मौलिक अधिकार है। अब समय आ गया है की हम भारत के नागरिक अपने संविधान की रक्षा करें।”

सरकार की चुप्पी निंदनीय

कार्यक्रम के विवरण में लिखा है कि मुसलमानों पर हो रहे ये हमले एक ऐसे प्रवृत्ति का हिस्सा हैं जिसमें देशभर में दलितों, आदिवासियों और अन्य वंचित और अल्पसंख्यक समूहों पर हो रही हिंसा भी शामिल हैं। इसमें आगे लिखा है कि इन सभी घृणित अपराधों के दौरान सरकार ने लगातार बस एक निंदनीय चुप्पी बनाए रखी है। सरकार की इस चुप्पी को आम भारतीयों की स्वीकृति के रूप में नहीं पढ़ा जाना चाहिए।

 

 

 

 

 

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