पठानकोट आतंकी हमले की जांच के लिए भारत आए पाकिस्तान के संयुक्त जांच दल की एनआईए के साथ छह दिन से चल रही बातचीत समाप्त हो गई है। इस दौरान जेआईटी में शामिल अधिकारियों ने गवाहों के बयान दर्ज किए और मारे गए आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट एकत्रित कीं। इस बीच एनआईए के एक दल की पाकिस्तान यात्रा के प्रस्ताव का जेआईटी ने स्वागत किया और कहा कि परस्पर सुविधा वाली तारीखों को तय करने की दिशा में काम किया जाएगा। अब माना जा रहा है कि बहुत जल्द ही एनआईए की एक टीम भी मामले में सबूत इकट्ठा करने के उद्देश्य से पाकिस्तान कैा दौरा कर सकती है। पाक जांच दल के साथ पांच दिनों से जारी बातचीत के आज खत्म होने पर एनआईए के महानिदेशक शरद कुमार ने कहा, एनआईए के पाक दौरे की तारीखें बाद में तय की जाएंगी। उन्होंने कहा, चूंकि पठानकोट हमले की साजिश पाकिस्तान में रची गई थी इसलिए हमने प्रस्ताव रखा कि जांच के लिए एनआईए की एक टीम उस देश में भेजी जाए। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी दल ने इस बात का स्वागत किया है और दौरे की तारीखों पर फैसला बाद में लिया जाएगा।
इस दौरे में पाकिस्तानी दल को अब तक हुई जांच पर विस्तृत प्रस्तुतिकरण दिया गया और पठानकोट में अपराध स्थल पर ले जाया गया। दल को कुछ दस्तावेज भी सौंपे गए हैं जिनमें सुरक्षा बलों के साथ हुई मुठभेड़़ में मारे गए चार आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट भी शामिल है। एनआईए सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान के आतंकवाद निरोधक विभाग के अतिरिक्त पुलिस महानिरीक्षक मोहम्मद ताहिर राय की अगुवाई वाले दल ने आज दिन की शुरूआत मामले में गवाहों के बयान दर्ज करने के साथ की। पाकिस्तानी दल में आईएसआई के लेफ्टिनेंट कर्नल तनवीर अहमद भी शामिल हैं।
जांच टीम 27 मार्च को भारत पहुंची थी। उसने पंजाब के पुलिस अधीक्षक स्तर के अधिकारी सलविंदर सिंह, उनके सर्राफा दोस्त राजेश वर्मा तथा रसोइये मदन गोपाल समेत 16 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। जेआईटी ने एक दरगाह की देखभाल करने वाले शख्स से भी बातचीत की जहां जाने के बाद सिंह का अपहरण हुआ था। जांच के दौरान पुलिसकर्मियों और आतंकियों द्वारा छोड़ दिए गए वाहन को देखने वाले लोगों से भी बात की गई और पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों के बयान भी दर्ज किए गए। एनआईए सूत्रों के मुताबिक पाकिस्तानी जेआईटी ने एनआईए को चार आतंकवादियों के स्वाब देने को कहा था जिनकी पहचान नासिर हुसैन (पंजाब प्रांत), अबू बकर (गुजरांवाला), उमर फारुक और अब्दुल कयूम (दोनों सिंध से) के तौर पर हुई है। हालांकि भारतीय आतंकवाद-निरोधक जांच एजेंसी ने जेआईटी सदस्यों को आतंकवादियों की डीएनए रिपोर्ट सौंपी और उनका मिलान उनके परिवार के सदस्यों से करने को कहा।