देश में कोरोना की दूसरी लहर के बाद वैक्सीनेशन की रफ्तार तेज हो गई इस बीच बूस्टर डोज को लेकर भी चर्चाएं तेज हैं। भारत में सवाल उठ रहे हैं कि क्या हमारे देश में लोगों बूस्टर डोज लगाई जाएगी या नहीं। इसपर परिचित लोगों ने कहा है कि अभी देश की प्राथमिकता है कि वह अपनी वयस्क आबादी का टीकाकरण पूरा करे और 12 से 18 साल के बच्चों का टीकाकरण शुरू करें। उन्होंने फिलहाल कहा कि हमें बूस्टर डोज की आवश्यकता पड़ सकती है, लेकिन अभी हमारा ध्यान इस पर नहीं हैं।
एक बड़े सरकारी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि हमें बूस्टर डोज की जरूरत पड़ सकती है और इस पर कुछ चर्चाएं भी हुई हैं। लेकिन, वर्तमान में सभी का ध्यान वयस्कों के वैक्सीनेशन और कार्यक्रम में बच्चों को शामिल करने की प्रक्रिया पर है। अब जायडस कैडिला वैक्सीन को मंजूरी दी गई है। इस वक्त बहुत विचार किया जा रहा है कि इसे सिस्टम में कैसे पेश किया जाए।
जायोकोव-डी वैक्सीन को जल्द ही वैक्सीन कार्यक्रम के रूप में पेश किए जाने की संभावनाएं हैं। लेकिन, इस बीच बच्चों को वैक्सीन लगाने की घोषणा की भी प्रतिक्षा की जा रही है।
बता दें कि बूस्टर शॉट वैक्सीन कोरोना वायरस की एक अतिरिक्त खुराक है। जिससे मूल खुराक द्वारा प्रदान की गई सुरक्षा कम न हो। अमेरिका ने उच्च जोखिम वाले स्वास्थ्य कर्मियों और अन्य लोगों के लिए बूस्टर डोज की मंजूरी दे दी है। हालांकि वैक्सीन असमानता की वजह से बूस्टर शॉट को लेकर कई विवाद भी हो रहे हैं। लोगों का कहना है कि दुनिया में अब भी कुछ देश ऐसे हैं जहां लोगों को कोरोना वैक्सीन की पहली डोज तक नहीं लगी है। और कई जगह लोगों को बूस्टर डोज दिया जा रहा है। अफ्रीका के कई शहर में लोगों को अभी तक वैक्सीन की पहली खुराक नहीं मिल पाई है।