बिहार में नीतीश कुमार ने पिछले चुनाव में महिलाओं से वायदा कर दिया कि सत्ता में आने पर वह पूर्ण शराबंदी लागू कर देंगे। अपना वचन निभाने के लिए उन्होंने सत्ता में आते ही शराबबंदी लागू कर दी। इसमें कोई शक नहीं कि गरीब वर्ग में शराब के अधिक उपयोग से स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव के साथ परिवारों पर भी बहुत असर होता है। बिहार सरकार ने खजाने में घाटा स्वीकारते हुए शराबबंदी लागू कर दी। लेकिन कुछ अन्य वस्तुओं पर थोड़ा टैक्स बढ़ा दिया। फिर भी समस्या पर नियंत्रण के बजाय अब जहरीली शराब, अवैध बिक्री का खतरनाक धंधा शुरू हो गया। बुधवार को गोपालगंज क्षेत्र में जहरीली शराब के सेवन से 14 लोगों की मौत हो गई। यूं राज्य सरकार इसकी पड़ताल और दोषी लोगों पर कार्रवाई का दावा कर रही है। लेकिन यह सिलसिला आसानी से थमने वाला नहीं है। खतरे की घंटी बजने लगी है। ईरान और पाकिस्तान जैसे देश में कई कड़े कानून के बावजूद शराब की अवैध बिक्री होती है। लेकिन उन देशों में एक वर्ग विशेष ही महंगी शराब चोरी छिपे पी सकता है और कट्टर धार्मिक मान्यताओं के कारण समाज में कुछ नियंत्रण हो जाता है। भारत जैसे विशाल प्रजातांत्रिक देश के किसी भी राज्य में पूर्ण मद्य निषेध लागू करना आसान नहीं है। इसे राजनीतिक छवि से जोड़ना भी उचित नहीं है। ऐसे मुद्दे पर सर्वदलीय सहमति के साथ संतुलित नीति बनानी चाहिए। सरकार पहले चरण में शराब के ठेकों में कमी करे। उसकी उपलब्धता कम होने पर धीरे-धीरे खपत कम होगी। फिर समाजिक जागरुकता पैदा की जाए। आखिरकार तंबाकू-सिगरेट के दुष्प्रभाव को लोग समझने लगे हैं और उसका उपयोग कम भी हुआ है। कठोर निर्णय के साथ प्रतिबंध रहने पर जहरीली शराब से मौत और अवैध बिक्री से समाज में अपराध ही बढ़ेंगे। यह किसी प्रदेश का नहीं राष्ट्रीय महत्व पर विचार का विषय है।
सत्ता की राजनीति का जहर
पंजाब में मादक पदार्थों के अवैध धंधे का सत्ता की राजनीति पर गहरा असर है। यह दोष केवल वर्तमान सत्तारूढ़ दल और सरकार का नहीं है। लगभग तीन दशकों के दौरान जहर की तस्करी और उससे होने वाली अवैध कमाई ने संपूर्ण व्यवस्था को तबाह किया। पंजाब-हरियाणा में अन्य राज्यों की तरह शराब के ठेकों से सरकारी खजाने में बड़ी आमदनी होती है। खजाना भरने के लिए ठेके और शराब की खपत बढ़ती गई। हरियाणा की स्थापना के बाद पहले तो पर्यटन स्थलों पर सरकार ने ही पब और राजमार्गों पर शराब के ठेकों को बढ़ावा दिया। फिर अति उत्साही आदर्शवादी कहलाने के लिए राज्य सरकार ने प्रदेश में शराबबंदी लागू की। लेकिन जल्द ही अवैध धंधे, जहरीली शराब से लोगों के मरने की नौबत आने पर सरकार ने फैसला बदल दिया।
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