कर्नाटक के बागी विधायकों की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुना दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा के अध्यक्ष को उनके द्वारा उचित समझे जाने वाली अवधि के भीतर 15 असंतुष्ट विधायकों के इस्तीफे पर फैसला लेने की मंजूरी दी है। साथ ही शीर्ष अदालत ने ने कांग्रेस-जेडी(एस) के असंतुष्ट 15 विधायकों को विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं करने का भी निर्देश दिया। शीर्ष अदालत के फैसले के बाद विभिन्न पक्षों और नेताओं की प्रतिक्रियाएं भी सामने आने लगी हैं। दरअसल, अदालत का यह फैसला कर्नाटक में कांग्रेस-जेडीएस सरकार की किस्मत तय करने वाला माना जा रहा है।
कर्नाटक विधानसभा अध्यक्ष के आर रमेश कुमार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि वह संविधान के सिद्धांतों के अनुसार अपनी भूमिका जिम्मेदारी से निभाएंगे। कुमार ने कहा, "बेहद विनम्रता के साथ मैं सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं और उनका सम्मान करता हूं।" उन्होंने अपने गृह नगर कोलार में संवाददाताओं से कहा, "सुप्रीम कोर्ट ने मुझ पर अतिरिक्त बोझ डाला है, मैं संवैधानिक सिद्धांत के अनुसार अपनी भूमिका पूरी जिम्मेदारी से निभाऊंगा।"
संविधान और लोकतंत्र की जीत है: येदियुरप्पा
कर्नाटक भाजपा प्रमुख बी एस येदियुरप्पा नेसुप्रीम कोर्ट के आदेश का स्वागत किया। उन्होंने कहा, "मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत करता हूं। यह संविधान और लोकतंत्र की जीत है। बागी विधायकों के लिए यह एक नैतिक जीत है।"
येदियुरप्पा ने कहा कि राजनीतिक दल उन 15 बागी विधायकों को व्हिप जारी नहीं कर सकते हैं, जिन्होंने अपनी विधानसभा की सदस्यता त्याग दी है, और उन्हें सदन की कार्यवाही में शामिल होने के लिए उन्हें बाध्य नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत ने कर्नाटक के बारे में सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए अपना फैसला दिया। ऐसे में मुख्यमंत्री एच डी कुमारस्वामी जब वह विधानसभा में विश्वास मत का सामना करेंगे तब उनको इस्तीफा देना होगा।
येदियुरप्पा ने कहा, "यह केवल एक अंतरिम आदेश है और भविष्य में सुप्रीम कोर्ट स्पीकर की शक्ति का फैसला करेगा। यह संसदीय लोकतंत्र में एक नया ट्रेंड स्थापित करेगा।"
पार्टी व्हिप जारी कर सकती है, भाजपा कर रही गुमराह: डीके शिवकुमार
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डीके शिवकुमार ने कहा कि इस ऐतिहासिक फैसले ने लोकतांत्रिक प्रक्रिया को ताकत दी है। बीजेपी के कुछ दोस्त गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं कि व्हिप मान्य नहीं है, लेकिन पार्टी व्हिप जारी कर सकती है और दलबदल विरोधी कानून के अनुसार आवश्यक कार्रवाई कर सकती है।
विधायकों ने क्या कहा?
कर्नाटक में राजनीतिक संकट के बीच मुंबई में डेरा डाले हुए कांग्रेस-जेडीएस के बागी विधायकों ने सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का स्वागत किया। विधायकों ने कहा, “हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। हम सब साथ हैं। हम अपने फैसले पर कायम हैं। विधानसभा जाने का सवाल ही नहीं है।”
मुकुल रोहतगी ने क्या कहा?
अदालत के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट में बागी विधायकों का पक्ष रख रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले की दो अहम बातें हैं। पहला बिंदू तो ये है कि 15 बागी विधायकों को सदन की कार्यवाही में आने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है, दूसरा बिंदू ये है कि 15 विधायकों के पास ये स्वतंत्रता है कि वे गुरुवार को सदन जाएं या नहीं। मुकुल रोहतगी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बागी विधायकों के खिलाफ जारी किया गया तीन लाइन का व्हिप उनपर लागू नहीं होगा। दूसरा पक्ष ये है कि अब स्पीकर को ये अधिकार है कि वो इस्तीफा देने वाले विधायकों पर जब और जैसा चाहे फैसला ले सकते हैं।
कुछ भी कहने से बचते दिखे कुमारस्वामी
वहीं कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। बुधवार को बेंगलुरु में जब उनसे अदालत के फैसले पर पूछा गया तो वे बिना जवाब दिए अपनी कार में सवार होकर चलते बने।
#WATCH Karnataka CM HD Kumaraswamy declines to comment, when asked about Supreme Court's verdict on Karnataka rebel MLAs. #Karnataka pic.twitter.com/aR1ww6aNgl
— ANI (@ANI) July 17, 2019
(एजेंसी इनपुट)