Advertisement

रेल या‌त्रियों को ‘बुलेट’ की मार । आलोक मेहता

चीन और जापान की तरह भारत में बुलेट ट्रेन चलने में कई वर्ष लगने वाले हैं। चलेगी तो मुंबई और अहमदाबाद के बीच अधिकतम पैसा देकर यात्रा करने वाले देशी-विदेशी संभ्रात-संपन्न वर्गों को सुविधा होगी। लेकिन उस बुलेट ट्रेन से पहले रेलवे बोर्ड ने 163 साल के इतिहास में रिकार्ड तोड़ अच्छी ट्रेनों के किराये विमान सेवाओं की तरह बढ़ा दिए। मतलब राजधानी, दुरंतो और शताब्दी जैसी ट्रेनों में अधिकांश सीटों का किराया 50 प्रतिशत बढ़ जाएगा। फैसला कल 9 सितंबर से ही लागू हो रहा है। इससे पहले यह निर्णय सर्वविदित हो गया है कि अगले वित्तीय वर्ष से रेल बजट संसद में अलग से प्रस्तुत नहीं होगा। आम बजट का हिस्सा होने से रेल पर अलग से अधिक चर्चा भी नहीं होगी।
रेल या‌त्रियों को ‘बुलेट’ की मार । आलोक मेहता

रेलवे निजी क्षेत्र में दिए बिना रेल बोर्ड आधुनिक सुविधाओं के लिए अधिक खर्च और घाटे के नाम पर रेल किराया बढ़ा रहा है। यूं अफसर या सलाहकार तर्क दे सकते हैं कि साधारण यात्री गाड़ियों के बजाय दुरंतो, शताब्दी, राजधानी जैसी रेलगाड़ियों के टिकट बढ़ रहे हैं। वे यह भूल जाते हैं कि अमृतसर से गुवाहाटी या तिरुवनंतपुरम से दिल्ली-मुंबई आने वाले निम्न आय वर्ग वाले लाखों लोगों के लिए भी ऐसी रेलगाड़ियां बहुत राहत देती हैं। छोटी-मोटी नौकरी या मजदूरी करने वाले चार दिन के बजाय डेढ़ दिन में अपने घर या कार्य स्‍थल पर पहुंचना चाहते हैं, ताकि उनकी देय मजदूरी में कटौती न हो। फिर भारत में लोग परिवार के साथ यात्रा करते हैं। मध्यम वर्ग के यात्री यदि चार गुना खर्च कर पारिवारिक कार्य या अवकाश पर जाएंगे, तो पूरे साल का बजट ही गड़बड़ा जाएगा।

जहां तक प्रारंभिक 10-50 सीटें बहुत पहले बुक करने पर कम किराया लेने की बात है, तो कारपोरेट कंपनियां या सरकारी अधिकारी बहुत पहले ऐसे टिकट खरीदकर रख लेंगे और सामान्य यात्रियों को अधिकतम किराया देकर यात्रा करनी होगी। आए.ए.सी. के टिकट की सीट का फैसला अंतिम क्षणों में होता है और उसे कैंसिल करने में देरी पर पूर्व में चुकाई गई रकम न लौटाने की व्यवस्‍था भी बड़ी चोट है। इसमें कोई शक नहीं कि सुरेश प्रभु ने रेल मंत्री बनने के बाद रेल सेवाओं में सुधार किया है और उनके भावी कार्यक्रम भी महत्वाकांक्षी और लाभदायक हो सकते हैं। लेकिन उन्हें रेल बोर्ड की अफसरशाही पर काबू पाना होगा। किराया बढ़ाने के बजाय रेल कर्मचारी या नेताओं को दी जाने वाली मुफ्त रेल सेवाओं में थोड़ी कटौती करने से सामान्य यात्रियों पर बोझ डालने की जरूरत नहीं होगी। दुनिया के किसी भी देश में मुफ्त रेल यात्रा की सुविधा नहीं है। इसी तरह रेल यात्रियों पर ‘बुलेट’ की तरह किराया बढ़ोतरी नहीं झेलनी पड़ती।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad