इनमें महिलाएं भी शामिल हैं। मुख्य न्यायाधीश रोहिणी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलॉर्ड की पीठ ने सरकार को पांच मार्च तक जवाब देने के लिए कहा है। अदालत का कहना है कि क्यों न विचाराधीन कैदियों को जेलों में भीड़भाड़ कम करने के लिए उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया जाए।
अदालत का निर्देश एक सुनवाई के दौरान आया जब पीठ ने उच्चतम न्यायालय के निर्देश का संज्ञान लिया। शीर्ष अदालत ने १३ नवंबर २०१४ को कहा था कि कारागार दोषियों के लिए हैं, न कि विचाराधीन कैदियों के लिए।
अदालत ने कारागार सुधारों के लिए नौ समस्याओं की पहचान की थी जिसमें अधिक भीड़भाड़, मुकदमों की सुनवाई में विलंब, यातना और खराब बर्ताव, स्वास्थ्य और स्वच्छता की अनदेखी, भोजन और कपड़ा, खुली हवादार जेलों का प्रबंधन और संचार व्यवस्था में कमी शामिल है।