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शिक्षा नीति में किसी भाषा को थोपना अनुचित: मुस्लिम थिंकटैंक

कुछ संगठनों द्वारा अंग्रेजी भाषा को पढ़ाई से हटाने की सिफारिश किए जाने पर एक प्रमुख मुस्लिम थिंकटैंक ने आज कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किसी भाषा को थोपना उचित नहीं रहेगा और अंग्रेजी आधुनिक दौर में विकास की एक प्रमुख धुरी है जिससे आज की पीढ़ी को उपेक्षित नहीं रखा जा सकता।
शिक्षा नीति में किसी भाषा को थोपना अनुचित: मुस्लिम थिंकटैंक

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शिक्षा से जुड़े अनुषांगिक संगठन, शिक्षा संस्कति उत्थान न्यास (एसएसयूएन) की ओर से हाल ही केंद्र सरकार से अंग्रेजी भाषा को पढ़ाई के माध्यम से हटाने की सिफारिश किए जाने की पृष्ठभूमि में मुस्लिम समुदाय के शैक्षणिक विकास और सशक्तीकरण के पैरोकार थिंकटैंक इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जेक्टिव स्टडीज (आईओएस) के महासचिव प्रोफेसर जेड एम खान ने आज दिल्ली में कहा, मेरी समझ से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में किसी भाषा को थोपना और किसी को बेवजह हटाना उचित नहीं रहेगा। सभी से बात करके और आधुनिक दौर की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए शिक्षा नीति बनाई जानी चाहिए। खान ने एसएसयूएन की हालिया सिफारिश के बारे में पूछे गए सवाल पर यह प्रतिक्रिया दी। एसएसयूएन ने हाल ही में मानव संसाधन विकास मंत्रालय को शिक्षा नीति के संदर्भ में कई सिफारिशें भेजी थीं जिनमें यह भी कहा गया था कि अंग्रेजी को पढ़ाई की माध्यम वाली भाषा के तौर पर हटाया जाए और इसके स्थान पर देश की भाषाओं को रखा जाए।

आईओएस के खान ने कहा, आधुनिक दौर में अंग्रेजी विकास से जुड़ी हुई भाषा बन चुकी है। इस दौर में हमारी युवा पीढ़ी को इस भाषा से उपेक्षित नहीं रखा जा सकता। इसलिए मैं कह रहा हूं कि सारी बातों को ध्यान में रखकर कोई नीति बननी चाहिए। आईओएस आगामी पांच नवंबर को अपनी 30वीं वर्षगांठ के मौके पर समकालीन भारत में समता, न्याय और भाईचारा के लिए शिक्षा के माध्यम से बेहतर भविष्य का निर्माण विषय पर एक सम्मेलन आयोजित करने जा रहा है जिसमें मुख्य रूप से देश के मुस्लिम समाज के शिक्षा के हालात पर चर्चा होगी।

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