अमेरिका दौरे पर गए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी लगातार मोदी सरकार पर निशाना साध रहे हैं। बर्कले और प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के बाद आज उन्होंने एक बार फिर टाइम्स स्क्वायर से दिए अपने भाषण में कहा, 'भारत देश के युवाओं को विजन नहीं दिखा सकता अगर उनके पास नौकरी नहीं है। कांग्रेस के पास इन समस्याओं से निपटने का विजन है। हर रोज 30 हजार नए लोग जॉब मार्केट में जुड़ रहे हैं लेकिन केवल 450 को ही नौकरी मिल पा रही है।' इसके अलावा राहुल ने वहां मौजूद भारतीयों से कहा कि आप ही अमेरिका में भारत की रीढ़ हैं। राहुल ने कहा कि गांधी, नेहरू, पटेल सभी एनआरआई थे और भारत लौटकर काम किया।
राहुल ने कहा, ' रोजगार की समस्या इसलिए पनप रही है क्योंकि आजकल सिर्फ 50-60 कंपनियों पर ही फोकस किया जा रहा है। अगर, रोजगार बढ़ाने हैं तो छोटी और मझोली कंपनियों को भी बढ़ावा देना होगा। कृषि रणनीतिक संपत्ति है, हमें भारतीय कृषि को सशक्त बनाने की जरुरत है।
उठाया असहिष्णुता का मुद्दा
असहिष्णुता का मुद्दा उठाते हुए राहुल ने कहा कि इसे लेकर भारत के बाहर सवाल उठाए जा रहे हैं। इससे देश का सद्भाव बिगड़ा है। राहुल ने कहा कि हजारों सालों से, भारत शांति और एकता वाला देश रहा है लेकिन अब इसे चुनौती दी जा रही है।
Rahul attacks Centre over intolerance, says divisive forces ruining nation's reputation
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— ANI Digital (@ani_digital) September 21, 2017
राहुल यहां पर भारतीय समुदाय को संबोधित कर रहे थे और इस दौरान उन्होंने कहा कि देश में कुछ ऐसी ताकतें हैं जो भारत को बांट रही हैं और यह बहुत खतरनाक है। इससे विदेश में हमारी छवि खराब हो रही है। दुनियाभर में सवाल उठ रहे हैं। अमेरिका में कई नेताओं ने पूछा कि भारत में मौजूद सहिष्णुता को क्या हुआ? भारत शांति के लिए जाना जाता था।
प्रधानमंत्री मोदी और ट्रंप पर भी साधा निशाना
इससे पहले राहुल गांधी ने प्रिंस्टन में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पर भी निशाना साधा था। राहुल ने प्रिंस्टन यूनिवर्सिटी के छात्रों से मुलाकात के दौरान कहा कि मोदी और ट्रंप जैसे नेताओं के सत्ता में आने की मुख्य वजह बेरोजगारी है।
उन्होंने कहा, "मेरी समझ में मोदी के उदय और ट्रंप के सत्ता में आने के पीछे भारत और अमेरिका में रोजगार को लेकर उठे सवाल रहे। वे लोग जिनकी बड़ी तादाद है, रोजगार न होने के कारण अपना कोई भविष्य नहीं देखते हैं। वे तकलीफ का अनुभव करते हैं। लिहाजा, ये लोग ऐसे नेताओं (मोदी और ट्रंप) का समर्थन करते हैं। बेरोजगारी को समस्या ही नहीं माना जाता है।‘