बाबरी विध्वंस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई 8 फरवरी, 2018 तक टल गई है। सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कोर्ट में दलील दी कि सुनवाई 2019 तक टाल दी जाए। इसके बाद इस मुद्दे को लेकर भाजपा ने कांग्रेस पर हमला बोला है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने सीधे राहुल गांधी से पूछा है कि राम मंदिर को लेकर आपकी पार्टी और आपका क्या स्टैंड है? राम मंदिर के मुद्दे पर प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए अमित शाह ने कहा कि बीजेपी चाहती है कि जल्द से इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हो और फैसला आए. जिससे अयोध्या में भगवान श्रीराम का भव्य मंदिर बन सके, जो कि देश की आस्था से जुड़ा हुआ है।
Rahul ji is visiting temples in Gujarat but on the other hand Kapil Sibal is being used to delay Ram janmbhoomi case. Rahul ji should tell us what his view on this is: Amit Shah pic.twitter.com/dDwuV1YfXl
— ANI (@ANI) December 5, 2017
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने कहा कि आखिरकार राम मंदिर मामले की सुनवाई रोकने से क्या हासिल होने वाला है। उन्होंने कहा कि राम मंदिर केस की सुनवाई को लेकर कांग्रेस पार्टी को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। उन्होंने कहा कि एक तरफ राहुल गांधी गुजरात में मंदिर जा रहे है, तो दूसरी तरफ राम जन्मभूमि केस पर सुनवाई को टालने के लिए कपिल सिब्बल का उपयोग किया जा रहा है। कांग्रेस पार्टी को अपना रूख स्पष्ट करना चाहिए।
Today a surprising stand was taken in SC by Congress leader and Sunni Waqf Board lawyer Kapil Sibal ji, he said hearing should be deferred till after 2019 LS polls.Congress should clear its stand on this: Amit Shah pic.twitter.com/qDdtpDcq4F
— ANI (@ANI) December 5, 2017
उन्होंने कहा कि कपिल सिब्बल ने कोर्ट में जो दलील दी वो बेहद हैरान करने वाली है। आखिर चुनाव का सुन्नी वक्फ बोर्ड से क्या लेना-देना है? मालूम हो कि मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद को लेकर सुनवाई हुई। इस दौरान सभी पक्षों के वकीलों ने अपने तर्क रखे। अब इस मामले की अगली सुनवाई आठ फरवरी 2018 को होगी।
सुन्नी वक्फ बोर्ड की ओर से पक्ष रखते हुए कपिल सिब्बल ने दलील दी कि सुनवाई को जुलाई 2019 तक टाल दिया जाए, क्योंकि मामला राजनीतिक हो चुका है। कपिल सिब्बल और राजीव धवन की ओर से कोर्ट में दलील दी गई कि इस मामले की जल्द सुनवाई सुब्रमण्यम स्वामी की अपील के बाद शुरू हुई, जो कि इस मामले में कोई पार्टी भी नहीं हैं।