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लावारिस बच्चों की देखभाल करेगा रेलवे

सरकार ने रेल परिसर में आवारा घूमते ऐसे बच्चों की देखभाल का बीड़ा उठाया है जो या तो घर से भागे होते हैं या लावारिस होते हैं।
लावारिस बच्चों की देखभाल करेगा रेलवे

महिला एवं बाल विकास मंत्रालय और रेलवे ने उनकी देखभाल करने और उनके भोजन, कपडे एवं दवाओं का प्रबंध करने का निर्णय किया है।

केंद्रीय महिला एवं बाल कल्याण मंत्री मेनका गांधी ने आज पुनरीक्षित मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की शुरुआत की ताकि रेलवे परिसरों में पाए जाने वाले बच्चों की देखभाल और सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि पांच लाख बच्चे एेसे हैं जो हमेशा गतिशील होते हैं। या तो उनका अवैध व्यापार होता है या वे घर से भागे होते हैं या गुम हो जाते हैं अथवा उनको छोड़ दिया जाता है। रेलवे स्टेशनों पर आने-जाने वाले एेसे बच्चों को लेकर अब हम रेलवे के साथ भागीदारी कर रहे हैं। इसके तहत बच्चों को उनके परिवारों से मिलाने या सु‌रक्षित ठिकाने पर पहुंचाने की व्यवस्‍था की जाएगी। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के आठवें स्थापना दिवस पर एसओपी जारी करते हुए मंत्री ने ये बातें कहीं। रेलवे ने एेसे 20 स्टेशनों की पहचान की है जहां एसओपी को लागू किया जाएगा। मेनका ने कहा, लेकिन मैं चाहती हूं कि अगले दो महीने में 200 रेलवे स्टेशनों पर यह लागू हो और आगे इसे और बढ़ाया जाए।

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