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राजन ने रिजर्व बैंक की आजादी, गवर्नर का ओहदा बढ़ाने की वकालत की

रिजर्व बैंक गवर्नर का पद छोड़ने से पहले सार्वजनिक तौर पर अपने आखिरी संबोधन में रघुराम राजन ने एक ऐसे मजबूत और स्वतंत्र रिजर्व बैंक की वकालत की है जो कि वृहद आर्थिक स्थिरता की खातिर सरकार के शीर्ष स्तर पर बैठे लोगों को ना कह सके।
राजन ने रिजर्व बैंक की आजादी, गवर्नर का ओहदा बढ़ाने की वकालत की

खुलकर अपनी बात रखने वाले रिजर्व बैंक के निर्वतमान गवर्नर रघुराम राजन अपने तीन साल का कार्यकाल कल पूरा करने जा रहे हैं। उसके बाद वह पठन पाठन के क्षेत्र में लौट जायेंगे। उन्होंने रिजर्व बैंक के गवर्नर का ओहदा बढ़ाने की भी वकालत की। उन्होंने कहा कि कानूनी तौर पर निम्न दर्जे के साथ वास्तव में शाक्तिशाली पद को रखना खतरनाक हो सकता है।

राजन यहां सेंट स्टीफन कालेज में केन्द्रीय बैंक की स्वतंत्रता विषय पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, केन्द्रीय बैंक को स्वतंत्र होना चाहिये और उसे आकर्षक दिखने वाले प्रस्तावों को ना कहने में सक्षम होना चाहिये। हालांकि, इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि केन्द्रीय बैंक विभिन्न प्रकार की बाध्यताओं से मुक्त नहीं रह सकता उसे सरकार द्वारा तय ढांचे के दायरे में काम करना होता है। राजन ने सरकार के साथ नीतिगत मुद्दों पर भेदभाव के मामले में रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर डी. सुब्बाराव की टिप्पणी को याद करते हुये कहा कि इस मामले में वह कुछ और आगे जायेंगे। उनका मानना है कि रिजर्व बैंक को केवल अपनी ना कहने की क्षमता के लिये ही अस्तित्व में नहीं बने रहना चाहिये बल्कि उसकी रक्षा भी होनी चाहिये।

उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक गवर्नर का रैंक वर्तमान में कैबिनेट सचिव के बराबर है। इसे उसकी भूमिका के अनुरूप बनाया जाना चाहिये। उन्होंने कहा, इसकी एक वजह है कि केन्द्रीय बैंक के गवर्नर जी-20 की बैठकों में वित्त मंत्रियों के साथ क्यों बैठते हैं। 

 राजन ने कहा कि कामकाजी फैसले लेने की आजादी केन्द्रीय बैंक के लिये महत्वपूर्ण है। हालांकि, राजन ने ही रिजर्व बैंक के कामकाज में कई बदलावों की शुरुआत की है। इनमें मौद्रिक नीति समिति के तहत मुद्रास्फीति का लक्ष्य तय किये जाने जैसे कई अहम बदलाव शामिल हैं। रिजर्व बैंक के निवर्तमान गवर्नर ने पिछले दिनों धार्मिक सहिष्णुता जैसे मुद्दों पर भी खुलकर अपने विचार रखे हैं। उन्होंने कहा कि केन्द्रीय बैंक के गवर्नर को वृहद आर्थिक स्थिरता और आर्थिक वृद्धि को ध्यान में रखते हुये अर्थव्यवस्था में होने वाली विभिन्न गतिविधियों और प्रवृतियों के खतरे के बारे में आगाह करना चाहिये। रिजर्व बैंक गर्वनर के रूप में अपने कार्यकाल के बारे में उन्होंने कहा कि उनके रहते भुगतान और बैंकिंग प्रणाली के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सुधार किये गये। मौद्रिक नीति संचालन, नकदी प्रबंधन, वित्तीय बाजारों, परेशानियों के निदान और खुद रिजर्व बैंक में बदलाव लाने के क्षेत्र में कई काम किये गये। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक गवर्नर के तौर पर यह उनका अंतिम सार्वजनिक भाषण है। उन्होंने कहा, केवल समय ही बतायेगा कि ये सुधार कितने सफल रहे लेकिन मैंने बिना किसी डर और पक्षपात के अपनी तरफ से हर संभव बेहतर काम करने की कोशिश की है। राजन ने कहा, भारत जैसे गरीब देश में जहां काफी लोग बहुत कम पर गुजर-बसर करते हैं, केन्द्रीय बैंक की भूमिका देश की क्षमताओं का ध्यान रखने, सूझबूझ वाली नीतियों को अपनाते हुये जोखिम कम करने और वैश्विक झटकों से देश को बचाने के लिये पर्याप्त बफर बनाने की होनी चाहिये। राजन ने कहा कि सरकार के शीर्ष क्रम में हालांकि रिजर्व बैंक गवर्नर के ओहदे को स्पष्ट तौर पर परिभाषित नहीं किया गया है लेकिन आमतौर पर इस बात पर सहमति है कि फैसलों के बारे में केवल प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री को ही विस्तृत जानकारी दी जायेगी।

भारत में इस बारे में अनौपचारिक तौर पर यह समझ बनी हुई है कि रिजर्व बैंक गवर्नर के पास जरूरी फैसले लेने की गुंजाइश है। उन्होंने कहा, वृहद आर्थिक स्थिरता की खातिर इनमें से कुछ भी बदलना नहीं चाहिये। यदि इन मुद्दों पर कभी कुछ गौर किया गया तो गवर्नर के ओहदे को देश में आर्थिक नीतियों के सबसे महत्वपूर्ण टेक्नोक्रेट के तौर पर देखा जाना चाहिये। राजन ने कहा कि भारत के लिये वृहद आर्थिक स्थिरता काफी महत्वपूर्ण है और जब कभी ऐसी स्थिति आती है तो केन्द्रीय बैंक के पास इससे निपटने के लिये संसाधन, ज्ञान और बेहतर पेशेवर अनुभव होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि भारत को वृहद आर्थिक स्थिरता के लिये एक मजबूत और स्वतंत्र रिजर्व बैंक की जरूरत है।

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