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बलात्कार के वे 9 मामले जिन्होंने पूरे देश को हिला दिया

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की लड़की के साथ हुए गैंगरेप ने पूरे देश को एक बार फिर हिला दिया है। पूरे...
बलात्कार के वे 9 मामले जिन्होंने पूरे देश को हिला दिया

उत्तर प्रदेश के हाथरस में 19 साल की लड़की के साथ हुए गैंगरेप ने पूरे देश को एक बार फिर हिला दिया है। पूरे मामले को लेकर राजनीति भी गरमा गई है। लेकिन सवाल यही उठता है कि बार-बार सख्त कानून बनने के बावजूद बलात्कार के मामले क्यों नहीं रूक रहे हैं। आइए जानते हैं देश के ऐसे 9 मामले , जिन्होंने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया था..

अरुणा शानबाग

मुंबई के किंग एडवर्ड मेमोरियल (केईएम) हॉस्पिटल में दवाई का कुत्तों पर एक्सपेरिमेंट करने का विभाग था। इसमें अरूणा नर्स का काम करती थी। बात 27 नवंबर 1973 की है , जब अरूणा शानबाग घर जाने से पहले कपड़े बदलने के लिए बेसमेंट में गईं। वहां पर पहले से छुपे वॉर्ड ब्वॉय सोहनलाल बाल्मिकी ने अरूणा के साथ न केवल बलात्कार किया। बल्कि उस दौरान उसके गले को कुत्ते बांधने वाली चेन से बांध दिया। जोर-जबरदस्ती में अरूणा के गले की नसें दब गईं और वह बेहोश हो गई। बाद में वह कोमा में चली गईं और कभी ठीक नहीं हो सकीं। 42 साल तक कोमा में रहने के बाद उनकी मई 2015 में मौत हो गई। इस बीच अरूणा ने इच्छामृत्यु की भी मांग की थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया था।

मथुरा बलात्कार मामला

महाराष्ट्र के चंद्रपुर जिले में 26 मार्च 1972 को 15 साल की आदिवासी लड़की मथुरा के साथ दो पुलिस कॉन्स्टेबलों पर थाने में ही बलात्कार करने का आरोप लगा था। इस केस के बाद 80 के दशक में महिलाओं के ख़िलाफ यौन हिंसा के विरोध में देशव्यापी आंदोलन हुए। इन आंदोलनों के चलते ही 1983 में भारतीय दंड संहिता में बदलाव कर बलात्कार की धारा 376 में चार उपधाराएं जोड़कर, हिरासत में बलात्कार के लिए सजा का प्रावधान किया गया।

स्कारलेट बलात्कार और हत्या मामला

साल 2008 में 15 साल की ब्रिटिश नागरिक स्कारलेट अपने माता-पिता के साथ गोवा घूमने आई थी। गोवा उसे पसंद आ गया था, इसलिए वह अपने मां से जिदकर कुछ दिनों के लिए गोवा रूक गई। जबकि परिवार के बाकी सदस्य कर्नाटक घूमने चले गए। एक दिन स्कारलेट की लाश समुद्र के किनारे मिली। लाश पर सुईयों के निशान थे और उसके हाथ-पैर पर कटे थे, इस दौरान गोवा पुलिस पर मामले को छिपाने के आरोप भी लगे। बढ़ते विरोध के बाद मामले की सुनवाई शुरू हुई । जांच में स्कारलेट की डायरी सामने आई। जिसमें उसने लिखा था कि कि कैसे कुछ लोग उसका लगातार बलात्कार कर रहे हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट में मामला पहुंचने के बाद दो आरोपियों में से एक सैमसन डिसूज़ा को दोषी ठहराया है, जबकि प्लासिडो कार्वाल्हो को बरी कर दिया गया। इसके पहले गोवा कोर्ट ने दोनों आरोपियों को बरी कर दिया था।

प्रियदर्शिनी मट्टू मामला

दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा रही प्रियदर्शिनी मट्टू की 25 जनवरी 1996 को बलात्कार के बाद हत्या कर दी गई थी। इस मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय में कानून के छात्र संतोष सिंह को आरोपी बनाया गया था। लेकिन निचली आदलत ने संतोष को तीन दिसंबर 1999 को बरी कर दिया था। लेकिन बाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अक्टूबर 2006 को दिए गए अपने फैसले में, निचली अदालत के आदेश को पलटते हुए बलात्कार और हत्या का दोषी मानते हुए मृत्युदंड का फैसला सुनाया था। पूर्व आईपीएस अधिकारी के बेटे संतोष ने उच्च न्यायालय के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। जिस पर 2010 में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए उसकी सजा आजीवन कारावास में बदल दिया था।

निर्भया मामला

16 दिसंबर 2012  को दिल्ली में एक चलती बस में 23 साल की छात्रा के साथ गैंगरेप किया गया था। वह उस वक्त अपने मित्र के साथ बस से घर जा रही थी। बलात्कार के बाद छात्रा और उसके मित्र को बुरी तरह से घायल अवस्था में आरोपियों ने सड़क पर फेंक दिया था। कई दिनों तक ईलाज चलने के बाद निर्भया की सिंगापुर में मौत हो गई। इस घटना के बाद राजधानी दिल्ली समेत देशव्यापी प्रदर्शन हुए थे। निर्भया मामले के सामने आने के बाद भारत सरकार ने जस्टिस वर्मा समिति का गठन कर महिलाओं के ख़िलाफ़ हिंसा के क़ानूनों की समीक्षा की थी। साल 2013  में क़ानूनों में संशोधन कर बलात्कार के जघन्य मामलों में मौत की सज़ा देने का प्रावधान जोड़ा गया था। छह आरोपिया में से एक राम सिंह ने जेल में जहां फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। वहीं मुकेश कुमार, विनय कुमार सक्सेना, पवन कुमार गुप्ता और अक्षय कुमार सिंह को दिल्ली के तिहाड़ जेल में मार्च 2020 को फांसी की सजा दी गई। जबकि एक 17 वर्षीय नाबालिग को बाल सुधार गृह में तीन साल के लिए भेज दिया गया।

मुंबई गैंगरेप

यह दुर्भाग्यपूर्ण घटना 2013 में मुंबई के शक्ति मिल में हुई थी। वहां पर एक 22 साल की फोटो पत्रकार, स्टोरी के लिए गई थी। उसके साथ पांच लोगों ने मिलकर गैंगरेप जैसा जघन्य कुकृत्य किया। सभी आरोपी पकड़े गए और ट्रॉयल कोर्ट ने मार्च 2014 को विजय जाधव, मुहम्मद कासिम शेख और मुहम्मद सलीम अंसारी को फांसी की सजा सुनाई। जबकि चौथे आरोपी सिराज रहमा खान को उम्र कैद की सजा सुनाई। जबकि पांचवां आरोपी नाबालिग था।  

इमराना मामला

साल 2005 का इमराना केस भी कई मायने में सबसे अलग था। उत्तर प्रदेश के इस मामले में इमराना के ससुर ने उनके साथ बलात्कार किया था। गांव की पंचायत ने इसे व्याभिचार का मामला मानते हुए इमराना को आदेश दिया कि वह अपने पति को छोड़कर ससुर के साथ रहे। और उसे अपना पति मान ले। हालांकि बाद में न्यायालय ने ससुर को दोषी मानते हुए उसे दस साल की सजा सुनाई।

सौम्य मामला

साल 2011 में केरल के एमाकुलम से शोरमूर जा रही सौम्या के साथ चलती ट्रेन में हमला किया गया। आरोपी गोविंदाचामी ने सौम्या से लूट-पाट कर चलती ट्रेन से फेंक दिया। उसके बाद वह खुद भी ट्रेन से कूद गया और घायल पड़ी सौम्या के साथ बलात्कार किया। बाद में न्यायालय ने उसे मौत की सजा सुनाई।

भंवरी देवी मामला

राजस्तान के भतेरी गांव में 1992 में उच्च जाति के पांच लोगों ने भंवरी देवी के साथ गैंगरेप किया था। आरोपियों ने उनके साथ इसलिए बलात्कार किया क्योंकि वह बाल विवाह नहीं करने के लिए स्थानीय लोगों में जागरूकता फैलाने का काम कर रहीं थीं। देश भर में इस मामले की काफी चर्चा हुई थी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न के संबंध में गाइडलाइन जारी करने के निर्देश दिए थे। हालांकि ट्रॉयल कोर्ट ने सभी आरोपियों को बलात्कार के आरोप से मुक्त कर दिया था।

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