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कुम्भ मेले में हुए घोटाले की जांच की सिफारिश

उत्तराखंड के सूचना आयुक्त ने 2010 में हरिद्वार में आयोजित कुम्भ मेले के दौरान कथित तौर पर 180 करोड़ रूपये की वित्तीय अनियमितता के आरोपों की सीबीआइ से जांच कराने की मंगवार को मुख्य सचिव से सिफारिश की। उस समय राज्य में भाजपा सरकार थी।
कुम्भ मेले में हुए घोटाले की जांच की सिफारिश

सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने एक आरटीआइ याचिकाकर्ता की अर्जी पर यह सिफारिश की जिन्होंने आरोप लगाया था कि कुम्भ मेले के आयोजन के लिए भेजे गए 180 करोड़ रूपये के केंद्रीय कोष का कोई हिसाब नहीं है।

एक धर्मशाला के ट्रस्टी रमेश चंद्र शर्मा कई आरटीआई याचिकाओं के जरिए आयुक्त के संग्यान में यह बात लाए कि कांग्रेस नीत संप्रग सरकार ने राज्य की तत्कालीन भाजपा सरकार को 2010 में मेले के आयोजन करने के लिए 565 करोड़ रूपये का अनुदान दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि मेले के दौरान लोकहित के 54 कार्य पूरे नहीं हो सके, जिससे दुनियाभर से हरिद्वार आए श्रद्धालुओं को असुविधा का सामना करना पड़ा।

शर्मा ने आरोप लगाया कि सरकार के कैग ने गोपनीय जांच की, जिसमें यह बात सामने आई कि राज्य सरकार के 34 विभागों के लिए 311 कार्यों के वास्ते 565 करोड़ रूपये आवंटित किए गए थे, जिनमें से 180 करोड़ रूपये के 54 कार्य अधूरे रहे।

उन्होंने आरोप लगाया कि तत्कालीन राज्य सरकार ने इस मामले की सतर्कता जांच नहीं कराई। अपने आदेश में सूचना आयुक्त अनिल शर्मा ने रमेश शर्मा की ओर से उठाए गए विषयों पर संग्यान लिया और अर्जी को मुख्य सचिव को भेज दिया जिसमें सीबीआई जांच पर फैसला करने का निर्देश दिया गया है। सूचना आयुक्त इस तरह के जनहित से जुड़े आदेश जारी करने के लिए जाने जाते हैं और उन्हें पूर्व में जान से मारने की धमकी भी मिल चुकी है।

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