सबरीमाला में राजनीति गरम है। मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को लेकर जारी गतिरोध के बीच हुई हिंसा के लिए केरल के मुख्यमंत्री पी. विजयन ने एक बार फिर आरएसएस को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस ने सबरीमाला को ‘वॉर जोन’ में तब्दील कर दिया है।
मंदिर में प्रवेश को लेकर हुई हिंसा पर मुख्यमंत्री ने चिंता जताई और कहा कि केरल के इतिहास में इस तरह के उदाहरण पहली बार देखने को मिल रहे हैं। मुख्यमंत्री के अनुसार प्रदर्शनकारियों ने वाहनों की चेकिंग की, महिला श्रद्धालुओं और मीडियाकर्मियों पर हमले किए।
बता दें कि सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद कुछ महिलाओं ने मंदिर के अंदर जाने की कोशिश की लेकिन कोर्ट के फैसले का विरोध कर रहे लोगों ने उन्हें अंदर जाने से रोका है। जहां एक तरफ प्रदर्शनकारी धार्मिक मान्यताओं-परंपराओं का हवाला देकर महिलाओं को प्रवेश नहीं करने दे रहे हैं, वहीं प्रशासन के सामने कोर्ट के फैसले को लागू करने की चुनौती है। दोनों पक्षों की इस जदोजहद में हिंसा की खबरें भी आई जिसमें मीडियाकर्मियों पर भी हमले हुए।
क्या है कोर्ट का फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में उस प्रावधान को चुनौती दी गई थी जिसके तहत मंदिर में 10 से 50 वर्ष आयु की महिलाओं के प्रवेश पर अब तक रोक थी। कहा गया कि अगर महिलाओं का प्रवेश इस आधार पर रोका जाता है कि वे मासिक धर्म के समय अपवित्र हैं तो यह भी दलितों के साथ छुआछूत की तरह है। सुप्रीम कोर्ट ने 4-1 के बहुमत से फैसला दिया।
सुनवाई के दौरान केरल त्रावणकोर देवासम बोर्ड की ओर से पेश सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा था कि दुनिया भर में अयप्पा के हजारों मंदिर हैं, वहां कोई बैन नहीं है लेकिन सबरीमाला में ब्रह्मचारी देव हैं और इसी कारण तय उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर बैन है, यह किसी के साथ भेदभाव नहीं है और न ही जेंडर विभेद का मामला है।