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सऊदी अरब में महिलाओं के संघर्ष की जीत, अब चला सकेंगी कार

सऊदी अरब में आखिरकार महिलाओं की लड़ाई रंग लाई। यहां अब महिलाएं भी कार चला सकेंगी। इस संबंध में सऊदी अरब...
सऊदी अरब में महिलाओं के संघर्ष की जीत, अब चला सकेंगी कार

सऊदी अरब में आखिरकार महिलाओं की लड़ाई रंग लाई। यहां अब महिलाएं भी कार चला सकेंगी। इस संबंध में सऊदी अरब के किंग सलमान ने आदेश जारी कर दिया है। यह धार्मिक रुढ़िवाद के खिलाफ बहुत बड़ी जीत है।

सऊदी की मान्यताओं के तहत महिलाओं की ड्राइविंग पर रोक थी। सऊदी के धार्मिक प्रतिनिधि मानते रहे थे कि कार चलाने वाली महिलाएं सामाजिक मूल्यों का उल्लंघन करती हैं।

दुनिया में सऊदी एकमात्र ऐसा देश था जहां महिलाओं को कार चलाने की इजाजत नहीं थी। इसके खिलाफ महिला संगठनों ने मुहिम छेड़ रखी थी। कुछ दिनों पहले एक मौलाना का वीडियो भी आया था, जिसमें वह बता रहे थे कि महिलाओं को गाड़ी नहीं चलानी चाहिए क्योंकि उनमें कम दिमाग होता है।

कई सोशल एक्टिविस्ट द्वारा इसके विरोध के बाद 2013 में कई महिलाओं ने कार के साथ अपने वीडियो ऑनलाइन पोस्ट किए थे। कई वीडियो में पुरुष भी महिलाओं को बढ़ावा देते दिख रहे थे। यह एक सोशल कैंपेन था।

सऊदी अरब में 1990 में कार चलाने के लिए 50 महिलाओं के पासपोर्ट जब्त कर लिए गए थे और उनकी नौकरी छीन ली गई थी। 2011 में एक महिला पर ड्राइविंग की वजह से 10 कोड़े बरसाए गए। 2014 में दो सऊदी महिलाओं को दो महीने के लिए गिरफ्तार कर लिया गया था।  

सऊदी किंग सलमान के इस फैसले की पूरी दुनिया में तारीफ हो रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इसे सकारात्मक कदम करार दिया है। व्हाइट हाउस ने कहा कि अमेरिका सऊदी समाज को सशक्त बनाने के प्रयासों को हमेशा समर्थन देता रहेगा। हालांकि फैसले के प्रभावी होने में अभी कुछ वक्त लगेगा। बिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने भी फैसले का स्वागत किया।

किंग ने आदेश पर सही तरीके से अमल करने के लिए समिति बनाने को कहा है। समिति 30 दिनों में अपने सुझाव देगी। फिर आदेश को 24 जून 2018 तक लागू किया जा सकेगा। वैसे शाही आदेश में शरिया कानून का भी ध्यान में रखने की बात कही गई है। फैसले से खुश अमेरिका में सऊदी के राजदूत प्रिंस खालिद बिन सलमान ने इसे ऐतिहासिक करार दिया।

महिलाओं को कार चलाने की आजादी देने के लिए आंदोलन करते वक्त 2011 में गिरफ्तार की गई मनाल अल-शेरिफ ने प्रसन्नता जताते हुए ट्वीट किया। शेरिफ ने लिखा, 'आज दुनिया के अंतिम देश ने महिलाओं का ड्राइव करना मंजूर कर लिया। हमने ऐसा कर दिखाया।'

सऊदी अरब की गिनती कट्टरपंथी देश के तौर पर होती रही है। यहां महिलाओं के लिए काफी पाबंदियां हैं। महिलाओं के लिए मर्द अभिभावक का होना आवश्यक है। औरत को शिक्षा, शादी, नौकरी से लेकर इलाज कराने तक में मर्द की अनुमति जरूरी होती है।

अब सऊदी अरब 'विजन 2030' के तहत पुराने नियम-कानूनों को बदलने में लगा हुआ है। तीन दिनों पूर्व ही सऊदी अरब ने अपने स्थापना दिवस पर पहली बार महिलाओं को स्टेडियम में हो रहे संगीत कार्यक्रम में प्रवेश की इजाजत दी थी। किंग सलमान प्रगतिशील सोच वाले शख्स हैं। वह धीरे-धीरे निर्मम रूढि़यों व परंपराओं के बंधन से महिलाओं को आजाद करने में लगे हुए हैं।

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