मुस्लिम पर्सनल लॉ को चुनौती देने वाली एक याचिका पर आज सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी एस ठाकुर और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से अदालत में छह सप्ताह के अंदर रिपोर्ट दाखिल करने को कहा। पीठ ने अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय से भी शायरा बानो नामक महिला द्वारा दायर याचिका पर जवाब मांगा है। शायरा बानो ने मुसलमानों में प्रचलित बहुविवाह, एक साथ तीन बार तलाक कहने (तलाक ए बिदत) और निकाह हलाला के चलन की संवैधानिकता को चुनौती दी है। मुसलमानों में प्रचलित तलाक प्रथा के तहत पति एक तुहर (दो मासिकधर्मों के बीच की अवधि) में, या सहवास के दौरान तुहर में, एकसाथ तीन बार तलाक कह कर पत्नी को तलाक दे सकता है।
इस बीच, पीठ ने उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री को छह सप्ताह के अंदर, मुद्दे पर याचिका के न्यायिक रिकॉर्ड की प्रति उपलब्ध कराने को कहा, जिसे उसने एक अलग याचिका के तौर पर लिया है। इस माह के शुरू में उच्चतम न्यायालय ने शायरा बानो की अपील पर केंद्र से जवाब मांगा था। शायरा बानो ने मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन कानून 1937 की धारा 2 की संवैधानिकता को चुनौती दी है।