सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' पर रोक लगाने से इंकार कर दिया। शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए फिल्म पर जारी बयानबाजी को लेकर गहरी नाराजगी जताई। शीर्ष अदालत कहा कि जब यह फिल्म मंजूरी के लिए लंबित है, तब सार्वजनिक पदों पर बैठे लोग कैसे यह बयान दे सकते हैं कि सेंसर बोर्ड को इस फिल्म को पास करना चाहिए या नहीं। ऐसा करने से सेंसर बोर्ड का निर्णय प्रभावित होगा।
सुप्रीम कोर्ट ने जिम्मेदार पद पर बैठे लोगों की ओर से की जा रही बयानबाजी को गंभीरता से लेते हुए कहा कि यह फिल्म के बारे में पहले से धारणा बनाने जैसा है। इस तरह की बयानबाजी कानून के सिद्धांत का उल्लंघन करना है, क्योंकि सेंसर बोर्ड ने अभ्ाी तक फिल्म के लिए प्रमाण-पत्र जारी नहीं किया है। इससे पहले भंसाली के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाया कि फिल्म को दूसरे देशों में भारत में मंजूरी मिलने से पहले रिलीज नहीं किया जाएगा। उन्होंने दूसरे देशों में एक दिसंबर को फिल्म को रिलीज करने की खबरों को गलत करार दिया। उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिलने के बाद ही फिल्म की रिलीज एक साथ हर जगह की जाएगी।
देश के बाहर फिल्म पर रोक लगाने को लेकर 23 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि फिल्म के निर्माता ने अदालत को गुमराह किया और सेंसर बोर्ड के सर्टिफिकेट के बगैर फिल्म विदेश में रिलीज की जा रही है। इसी दिन ब्रिटिश सेंसर बोर्ड ने अपने देश में पद्मावती को रिलीज करने की मंजूरी दी थी। गौरतलब है कि यह फिल्म पहले एक दिसंबर को रिलीज होनी थी। लेकिन, तकनीकी कारणों से सेंसर बोर्ड ने फिल्म को लौटा दिया था। इसके बाद निर्माताओं ने रिलीज टाल दी थी।