इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र की उस अधिसूचना को संदिग्ध बताया था, जिसमें दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा को आपराधिक मामलों में केंद्र के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने से रोका गया था। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने यह भी कहा था कि उपराज्यपाल अपनी मनमर्जी से काम नहीं कर सकते। केंद्र की याचिका को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल महिंद्र सिंह द्वारा न्यायाधीश ए.के. सीकरी और न्यायाधीश यू ललित की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष लाया गया है।
सिंह ने कहा कि उच्च न्यायालय की टिप्पणियों ने पूर्ण अनिश्चितता पैदा कर दी है और राष्ट्रीय राजधानी में रोजमर्रा के प्रशासन को मुश्किल बना दिया है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के बीच के समीकरण में संतुलन बैठाने के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 ए की स्पष्ट व्याख्या जरूरी है। जब पीठ ने कहा कि उच्च न्यायालय ने सिर्फ संदिग्ध शब्द का इस्तेमाल किया है तो अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि इस पर स्पष्टीकरण जरूरी है।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि उच्च न्यायालय की यह टिप्पणियां एसीबी द्वारा गिरफ्तार किए गए एक पुलिसकर्मी की जमानत याचिका के निपटारे के दौरान आई हैं। दिल्ली सरकार ने भी एक पक्षीय आदेश पारित किए जाने से पहले ही एक प्रतिवाद दाखिल कर दिया है। अपने आवेदन में इसने कहा है कि कोई भी आदेश पारित किए जाने से पहले शहर की सरकार को उसका पक्ष स्पष्ट करने का मौका दिया जाए। गृहमंत्रालय ने बुधवार को शीर्ष अदालत के समक्ष एक याचिका दायर करके 25 मई को जारी हुए उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी।
उच्च न्यायालय ने वह आदेश दिल्ली पुलिस के एक कॉन्सटेबल की जमानत याचिका की सुनवाई करते हुए सुनाया था। इस कॉन्सटेबल को रिश्वत लेने के आरोप में दिल्ली सरकार के भ्रष्टाचार रोधी ब्यूरो ने गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय की टिप्पणियां दरअसल एक फैसले का हिस्सा थीं, जिसमें उसने यह कहा था कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सरकार की भ्रष्टाचार रोधी शाखा को पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार करने का अधिकार है।
हाईकोर्ट पहुंची दिल्ली सरकार
नौकरशाहों की नियुक्ति में उपराज्यपाल को पूर्ण अधिकार देने की केंद्र की हालिया अधिसूचना को चुनौती देते हुए आज दिल्ली सरकार ने हाईकोर्ट का रुख किया है। न्यायाधीश बी डी अहमद और संजीव सचदेवा के समक्ष दायर याचिका में कहा गया है, दिल्ली सरकार ने गृह मंत्रालय की 21 मई की अधिसूचना के खिलाफ जाने का फैसला किया है। दिल्ली सरकार के स्थायी वकील रमन दुग्गल ने यह याचिका ऐसे समय में दायर की है, जब एक दिन पहले ही दिल्ली हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देते हुए केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
गृह सचिव से मिले उपराज्यपाल
दिल्ली सरकार के साथ जारी टकराव के बीच आज उपराज्यपाल नजीब जंग केंद्रीय गह सचिव एलसी गोयल से मिले। गौरतलब है कि एक दिन पहले ही दिल्ली विधानसभा ने गृह मंत्रालय की उस अधिसूचना के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया है जिसमें वरिष्ठ नौकरशाहों के तबादलों और नियुक्ति सहित विभिन्न मामलों में उप राज्यपाल को संपूर्ण शक्तियां देने की बात कही गई थी।