मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि बिहार में शहाबुद्दीन के खिलाफ लंबित मामलों में सुनवाई तिहाड़ जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये की जाएगी। चंदा बाबू और पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया।
इससे पहले दिवंगत पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन के वकील किसलय पांडेय ने बताया था कि शहाबुद्दीन को तिहाड़ भेजने के मामले में 17 जनवरी को सुनवाई के बाद कुछ तथ्यों से संबंधित कागजात को जमा नहीं कराया जा सका था। एक सप्ताह बाद ही संबंधित कागजात कोर्ट में जमा करा दिए गए थे। इस मामले में अब बुधवार को सुनवाई के बाद फैसला आएगा। मामले की सुनवाई के लिए कोर्ट से सूचना भेजी गई है।
गौरतलब है कि पत्रकार राजदेव रंजन की पत्नी आशा रंजन ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर अपनी जान को खतरा बताते हुए शहाबुद्दीन को तिहाड़ शिफ्ट कराने की गुहार लगाई थी। सीवान स्थित चंद्रकेश्वर प्रसाद, जिनके तीन बेटे दो अलग अलग घटनाओं में मारे गए थे, की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता शांतिभूषण ने भी दलील दी कि शीर्ष अदालत को किसी भी कैदी को एक जेल से राज्य के बाहर की जेल में स्थानांतरित करने का आदेश देने का अधिकार है।
भूषण ने कहा, यह याचिका गैर कानूनी व्यक्ति से समाज को संरक्षण प्रदान करने के लिए दायर की गई है। इसके बाद इन मामले में अंतराल पर सुनवाई होती रही। आज इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया है।
सीबीआई भी शहाबुद्दीन को तिहाड़ जेल भेजने पर अपनी सहमति जता चुकी है। बिहार सरकार पहले ही कह चुकी है की शहाबुद्दीन को किसी भी जेल में रखने पर कोई आपत्ति नहीं है। फिलहाल राजद नेता और पूर्व सांसद शहाबुद्दीन सीवान जेल में बंद हैं।