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राष्ट्रगान पर कोर्ट के आदेश का स्वागत, लेकिन क्या इससे देशभक्ति बढ़ेगी: ओवैसी

ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलीमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने आज उच्चतम न्यायालय के इस आदेश का स्वागत किया कि देश भर के सिनेमाघरों को फिल्म की शुरूआत से पहले राष्ट्रगान निश्चित तौर पर बजाना होगा। हालांकि, ओवैसी ने सवाल किया कि क्या इससे देशभक्ति की भावना मजबूत करने में मदद मिलेगी।
राष्ट्रगान पर कोर्ट के आदेश का स्वागत, लेकिन क्या इससे देशभक्ति बढ़ेगी: ओवैसी

संसद के बाहर बुधवार को पत्रकारों से बातचीत में ओवैसी ने कहा कि राष्ट्रीय सम्मान का अपमान रोकथाम कानून, 1971 और राष्ट्रगान के बाबत केंद्रीय गृह मंत्रालय का परामर्श नागरिकों से यह नहीं कहता कि राष्ट्रगान के वक्त खड़े होना जरूरी है। ओवैसी ने सरकार को सुझाव दिया कि वह कानून में संशोधन कर परामर्श का पुनरीक्षण करे। राष्ट्रीय सम्मान का अपमान रोकथाम कानून भारत के संविधान, राष्ट्रगान, राष्ट्रध्वज और देश के मानचित्र की बेअदबी या अपमान को प्रतिबंधित करता है। ओवैसी ने सवाल किया, यह आदेश ठीक है और इसका पालन करना है। लेकिन सवाल है कि क्या राष्ट्रगान के वक्त लोगों का खड़ा होना जरूरी है? क्या इससे देशभक्ति या राष्ट्रवाद बढ़ाने में मदद मिलेगी?

पिछले महीने गोवा के एक सिनेमाघर में राष्ट्रगान गाते वक्त खड़े नहीं होने पर एक दिव्यांग व्यक्ति की पिटाई की घटना की तरफ इशारा करते हुए ओवैसी ने जानना चाहा कि इस बाबत क्या किया जा सकता है। हैदराबाद के सांसद ने कहा, मेरा मानना है कि बच्चों को बहुत कम उम्र से ही राष्ट्रगान के बारे में सिखाया जाना चाहिए। सरकार को 1971 के कानून में संशोधन और गृह मंत्रालय के परामर्श को ठीक करने की जरूरत है। ओवैसी ने साफ शब्दों में कहा, मैं देशभक्ति के पक्ष में हूं।

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