नई दिल्ली। एक ओर जहां देश में पोर्न वेबसाइटों पर प्रतिबंध को लेकर बड़ी बहस छिड़ी हैं, वहीं एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, वर्ष 2012 से 2014 के दौरान तीन साल में बच्चों के यौन उत्पीड़न से जुड़े मामलों में 61 फीसदी का इजाफा हुआ है। जबकि इन तीन वर्षों में निर्भया कांड की वजह से यौन उत्पीड़न का मामला खूब चर्चा में रहा, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि बच्चों के लिए माहौल सुरक्षित होने के बजाय लगातार बिगड़ता जा रहा है। यह भी हो सकता है कि पहले की अपेक्षा अब इस तरह के ज्यादा मामले पुलिस में दर्ज कराए जा रहे हैं, जो पहले शायद दबे रह जाते थे।
लोकसभा में दिए एक प्रश्न के जवाब में महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने बताया कि वर्ष 2012 में बच्चों (18 साल से कम) के साथ बलात्कार के देश में 8541 मामले दर्ज किए गए थे। वर्ष 2013 में यह आंकड़ा बढ़कर 12363 तक पहुंच गया जबकि वर्ष 2014 में बच्चों के साथ बलात्कार के कुल 13766 मामले दर्ज किए गए हैं। यह जानकारी भी दी गई है कि बच्चों के खिलाफ बार-बार यौन उत्पीड़न के अपराध में लिप्त रहने वाले लोगों का अांकड़ा नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो अलग से नहीं रखता है।
मंत्री ने बताया कि यौन अपराधों से बच्चों की सुरक्षा संबंधी कानून के तहत हरेक आयु के बच्चों के हितों की रक्षा के लिए कई प्रावधान किए गए हैं। विशेष अदालतों के जरिये ऐसे मामलों की त्वरित सुनवाई की व्यवस्था की गई है।