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पद्मावती विवाद: अपनी ही पार्टी के 'महाराजाओं' के निशाने पर आए शशि थरूर

'पद्मावती' फिल्म पर चल रहे विवादों के बीच  राजपूत राजाओं पर टिप्पणी कर विवादों में आए कांग्रेस के...
पद्मावती विवाद: अपनी ही पार्टी के 'महाराजाओं' के निशाने पर आए शशि थरूर

'पद्मावती' फिल्म पर चल रहे विवादों के बीच  राजपूत राजाओं पर टिप्पणी कर विवादों में आए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और सांसद शशि थरूर अपनी ही पार्टी में शाही घरानों से ताल्लुक रखने वाले नेताओं से घिर गए हैं।

मध्य प्रदेश के गुना से सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के बाद अब शाही परिवार से ही ताल्लुक रखने वाले हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने उन्हें निशाने पर लिया है।

थरूर की टिप्पणी पर वीरभद्र सिंह ने संवाददाताओं से कहा, 'हमने कभी अपनी हार नहीं मानी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने देश पर कब्जा करने के दो बार सैनिक भेजे। कंपनी ने कहा कि उन्हें और सैनिकों की जरूरत है। इस बीच महारानी विक्टोरिया ने ईस्ट इंडिया कंपनी को खत्म कर दिया और खुद ही भारत की साम्राज्ञी बन गईं।'


इससे पहले ग्वालियर के सिंधिया राजघराने से जुड़े ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा था कि शशि थरूर को इतिहास पढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा, 'मैं समझता हूं कि उन्हें इतिहास पढ़ना चाहिए। मैं ज्योतिरादित्य सिंधिया हूं और मुझे अपने भूतकाल पर गर्व है।'


बता दें, केंद्रीय स्मृति इरानी ने भी पद्मावती के संदर्भ में शशि थरूर द्वारा की गई टिप्पणी की आलोचना की थी। रोचक बात यह थी कि थरूर पर निशाना साधने के लिए केंद्रीय मंत्री ने कांग्रेस के 'राजाओं' का ही सहारा लिया था।

स्मृति इरानी ने थरूर से सवाल पूछते हुए कहा, 'क्या सभी महाराजाओं ने ब्रिटिश के सामने घुटने टेके थे? शशि थरूर की इस टिप्पणी पर क्या कहेंगे ज्योतिरादित्य सिंधिया, दिग्गी राजा और अमरिंदर सिंह?' दरअसल इरानी कांग्रेस के उन नेताओं के नाम लेकर थरूर पर निशाना साध रही हैं जो राजपूत शासकों के घराने का प्रतिनिधित्व करते हैं।'

क्या कहा था थरूर ने?

फिल्म 'पद्मावती' को लेकर मचे हंगामे के बीच थरूर ने दावा किया था कि आज जो ये तथाकथित जांबाज महाराजा एक फिल्मकार के पीछे पड़े हैं और दावा कर रहे हैं कि उनका सम्मान दांव पर लग गया है, यही महाराजा उस समय भाग खड़े हुए थे, जब ब्रिटिश शासकों ने उनके मान सम्मान को रौंद दिया था।

एक समारोह में शशि थरूर से सवाल किया गया था कि उनकी किताब 'एन एरा ऑफ डार्कनेस: द ब्रिटिश एम्पायर इन इंडिया' में पीड़ा का भाव क्यों है जबकि उनकी राय यह है कि भारतीयों ने अंग्रेजों का साथ दिया था। इस पर थरूर ने कहा, 'यह हमारी गलती है और मैं यह स्वीकार करता हूं। सही मायने में तो मैं पीड़ा को सही नहीं ठहराता हूं। किताब में दर्जनों जगहों पर मैं खुद पर बहुत सख्त रहा हूं। कुछ ब्रिटिश समीक्षकों ने कहा है कि मैं इस बात की व्याख्या क्यों नहीं करता कि ब्रिटिश कैसे जीत गए? और यह बेहद उचित सवाल है।'

विवाद बढ़ने पर थरूर की सफाई

विवाद बढ़ने पर थरूर ने ट्वीट कर अपनी पुरानी टिप्पणी पर सफाई दी है। थरूर ने कहा कि बीजेपी के कुछ अंधभक्तों द्वारा साजिशन झूठा प्रचार किया जा रहा है कि मैंने राजपूत समाज के सम्मान के खिलाफ टिप्पणी की है। थरूर ने कहा कि उनकी टिप्पणी उन राजाओं के खिलाफ थी जो स्वतंत्रता संग्राम की लड़ाई में अंग्रेजों के साथ थे। कांग्रेस सांसद ने कहा कि राजपूत समाज की भावनाओं का आदर किया जाना सबका कर्तव्य है और बीजेपी व उसके सेंसर बोर्ड को इसका ख्याल रखना चाहिए।

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