“दिल्ली में श्रद्धा की हत्या और लाश के बेरहमी से टुकड़े करने की घटना से हैवानियत भी थर्रा उठी होगी”
आदमी के पिशाच बन जाने की दहशत से रोंगटे खड़े करने वाली कहानियां दुनिया के अलग-अलग हिस्सों और भारत से गाहे-ब-गाहे आती रही हैं। पिछली सदी में अमेरिका में अश्वेतों की हत्या कर उनकी लाश जला डालने, भारत में निठारी कांड, तंदूर कांड, जैसी कई डरावनी कहानियां हैं। फिर भी, यह पैशाचिक दास्तान कुछ अलग-सी सिहरन पैदा करती है। उसने पहले अपने लिव-इन-पार्टनर की हत्या की। फिर पहचान छुपाने के लिए उसका चेहरा जला दिया। इसके बाद लाश के करीब 35 टुकड़े किए। सभी टुकड़ों को पानी से धोया और उन टुकड़ों को पॉलिथिन में बंद कर फ्रिज में रखता चला गया। इस दौरान उसने ऑनलाइन खाना भी मंगवाया, बीयर पी, ओटीटी पर वेब सीरीज देखी और सो गया। फिर हर रोज वह लाश के टुकड़ों को ठिकाने लगाता रहा...
यह वाकया राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के महरौली इलाके में घटित हुआ। पुलिस का दावा है कि पेशे से शेफ और फोटोग्राफर आफताब आमीन पूनावाला (28 वर्ष) ने अपनी लिव-इन पार्टनर श्रद्धा वालकर (27 वर्ष) की 18 मई की शाम कथित तौर पर गला घोंट कर हत्या कर दी और उसके शरीर के कई टुकड़े कर दिए। उसने शव के कटे हिस्सों को रखने के लिए 300 लीटर वाला फ्रिज खरीदा और शव से आने वाली बदबू दबाने के लिए अगरबत्तियों और रूम फ्रेशनर का इस्तेमाल किया। वह इन टुकड़ों को करीब तीन सप्ताह तक दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में फेंकता रहा।
वह घर आफताब जहां कत्ल को अंजाम दिया
पुलिस को अब तक मिली जानकारी के मुताबिक, पूनावाला ने शादी को लेकर हुए झगड़े के बाद श्रद्धा की हत्या की। उसने पुलिस को बताया कि अपना पसंदीदा टीवी शो डेक्सटर देखकर उसने लाश को ठिकाने लगाने की योजना बनाई थी। श्रद्धा की हत्या करने के बाद भी वह गुड़गांव की एक कंपनी में रोज नौकरी पर जाता था। आफताब अपने परिवार और दोस्तों की नजरों में श्रद्धा को जिंदा दिखाने के लिए उसके सोशल मीडिया अकाउंट पर भी सक्रिय रहता था। पुलिस सूत्रों के अनुसार, आफताब ने जिस कमरे में श्रद्धा की लाश के टुकड़े फ्रिज में रखे थे, वह उसी कमरे में लगातार 18 दिन तक सोता रहा। वह रोज फ्रिज खोलकर श्रद्धा के कटे हुए सिर को देखता था।
मुंबई के रहने वाला आफताब और पालघर की श्रद्धा 2018 में एक डेटिंग ऐप के जरिये मिले थे। उसके बाद उन्होंने मुंबई में एक कॉल सेंटर में साथ काम करना शुरू किया और दोनों के बीच वहीं से प्रेम संबंध शुरू हुआ। अलग-अलग धर्म का होने की वजह से उनके माता-पिता को उनके रिश्ते से ऐतराज था। लिहाजा वे 8 मई को दिल्ली आए और 15 मई को छतरपुर इलाके में शिफ्ट हो गए। उसके बाद श्रद्धा के साथ क्या-क्या हुआ, इसे लेकर हर रोज नए उद्धाटन हो रहे हैं।
श्रद्धा के परिवारवालों का जब लंबे समय तक उससे संपर्क नहीं हुआ और उसका फोन भी बंद आने लगा तब उनको कुछ गड़बड़ होने का आभास हुआ। अक्टूबर में परिजनों ने मुंबई के मानिकपुर पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। मानिकपुर पुलिस ने आफताब से संपर्क किया और उसे पूछताछ के लिए बुलाया था। लेकिन पुलिस के सामने आफताब बिल्कुल सामान्य दिखता रहा। उसने ऐसे बर्ताव किया कि पुलिस को उस पर जरा भी संदेह नहीं हुआ। वह पुलिस को यह कहानी सुनाकर चकमा देता रहा कि झगड़े के बाद श्रद्धा अपनी मर्जी से कहीं चली गई है।
उसकी यह चालाकी ज्यादा वक्त तक काम नहीं आ सकी और आखिरकार आफताब बैंक अकाउंट ट्रांसफर और कॉल डिटेल की वजह से संदेह के घेरे में आ गया। मुंबई पुलिस ने आफताब और श्रद्धा का कॉल डिटेल रिकॉर्ड (सीडीआर) निकाला और पाया कि उसका मोबाइल मई से बंद था। फिर आफताब को बुलाया गया, उससे पूछताछ हुई और उसका बयान भी दर्ज किया गया। आफताब ने पहले कहा कि वे दिल्ली के छतरपुर इलाके में रहते थे, लेकिन मई में उनके बीच लड़ाई के बाद वह वहां से चली गई। जब मानिकपुर पुलिस को उसके बयान में कुछ विरोधाभास लगा, तब उसने दिल्ली पुलिस को सूचित किया और उसका सारा विवरण उन्हें भेज दिया। वहीं इस अहम जानकारी की वजह से आफताब की ओर शक की सुई घूमी कि श्रद्धा की हत्या 18 मई की रात दस बजे के करीब कर दी गई थी, मगर उसका मोबाइल फोन 26 मई से बंद किया गया था। पुलिस के अनुसार 22 से 26 मई के बीच आफताब ने श्रद्धा के अकाउंट से अपने अकाउंट में 54 हजार रुपये ट्रांसफर किए थे। आखिरी बार जब श्रद्धा का मोबाइल बंद हुआ, तब उसकी लोकेशन दिल्ली में छतरपुर ही थी। आठ नवंबर को मुंबई पुलिस ने महरौली थाने में श्रद्धा के लापता होने की सूचना दी थी। जांच के दौरान आफताब के आवास पर छापेमारी की गई और उसे हिरासत में ले लिया गया। पुलिस ने इस बार जब आफताब से सख्ती से पूछताछ की तो उसने श्रद्धा के कत्ल की बात स्वीकार कर ली। उसे 12 नवंबर को गिरफ्तार किया गया, फिर दिल्ली पुलिस ने साक्ष्य जुटाने का काम शुरू किया।
आफताब की निशानदेही पर साक्ष्य खोजती पुलिस
आफताब ने जिस चतुराई के साथ सबूतों को मिटाने का काम किया है वह पुलिस के सामने बड़ी चुनौती है। उसने लाश को टुकड़े टुकड़े कर ठिकाने लगाया था। उसने श्रद्धा का फोन फेंक दिया और अपना फोन ओएलएक्स पर बेच दिया। फ्लैट में खून के धब्बों को ऐसे केमिकल से धोया कि कोई साक्ष्य न मिले। दूसरी ओर, इस पूरे मामले में पुलिस कड़ियां जोड़ने में, इकबालिया बयान लेने में और परिस्थितिजन्य सबूत इकट्ठा करने में कामयाब रही है लेकिन अब भी हत्या में प्रयुक्त हथियार और श्रद्धा की लाश का सिर पुलिस को नहीं मिल सका है। अब तक 11 अहम सबूत और गवाह जुटा चुकी दिल्ली पुलिस को भरोसा है कि वह आफताब को कड़ी से कड़ी सजा दिलाकर दम लेगी। आदमी के हैवान बनने की इस घटना ने हमारे समाज में लिव-इन रिश्तों पर बहस को खड़ा कर दिया है।
आफताब और भी हैं
अनुपमा हत्याकांड: 17 अक्टूबर 2010
देहरादून में करीब 12 साल पहले सॉफ्टवेयर इंजीनियर राजेश गुलाटी ने अपनी पत्नी अनुपमा की हत्या कर उसके शरीर को 72 टुकड़ों में काट डाला था। 17 अक्टूबर 2010 की रात 37 वर्षीय राजेश गुलाटी ने अपराध को अंजाम दिया था। 1999 में राजेश की शादी अनुपमा से हुई थी। शादी के बाद यह जोड़ा अमेरिका चला गया। 2008 में पति-पत्नी देहरादून लौटे। इसके बाद दोनों के संबंध बिगड़ने शुरू हुए। तनाव बढ़ने लगा। 17 अक्टूबर 2010 को दोनों के बीच झगड़ा शुरू हुआ तो गुलाटी ने पत्नी की हत्या कर दी। उसकी लाश को ठिकाने लगाने के लिए इलेक्ट्रिक आरी खरीदी। उसके शरीर के 72 टुकड़े किए। उसे अलग-अलग पॉलिथिन बैग में भरकर डीप फ्रीजर में रख दिया। वह अनुपमा की बॉडी के टुकड़ों को एक-एक कर शहर के अलग अलग इलाकों में फेंकता रहा। हत्या के लगभग दो महीने बाद मामला सामने आ पाया था। सितंबर 2017 में स्थानीय कोर्ट ने राजेश गुलाटी को आजीवन कारावास की सुनाई। अभी वह देहरादून जेल में है।
तंदूर कांड : 2 जुलाई 1995
दिल्ली की 30 वर्षीय नैना साहनी की उनके पति और तत्कालीन युवा कांग्रेस नेता सुशील शर्मा ने गोली मारकर हत्या कर दी थी और उसके बाद दिल्ली के एक रेस्तरां के ‘तंदूर’ में जलाने की कोशिश की थी। दरअसल, सुशील ने अपनी पत्नी नैना को किसी से फोन पर बात करते हुए देखा। सुशील को देखते ही नैना ने फोन काट दिया। सुशील ने वही नंबर डायल किया तो दूसरी तरफ उसका सहपाठी करीम मतबूल था। इससे आवेश में आकर सुशील ने नैना की हत्या कर दी और उसकी लाश के टुकड़े कर रेस्टोरेंट के तंदूर में जलाने लगा। लाश जलाने के दौरान तंदूर से आग की लपटें निकलते देख बाहर सब्जी बेचने वाली एक औरत चीखी और पेट्रोलिंग कर रहे पुलिसवालों का भी ध्यान इस पर गया। पुलिस पहुंची तो नैना की लाश बुरी तरह जली हुई फर्श पर पड़ी हुई थी। अपनी पत्नी की हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद से 23 साल बाद शर्मा दिसंबर 2018 में जेल से रिहा हो गया।
बेलारानी दत्ता हत्याकांड : 31 जनवरी 1954
कोलकाता में बीरेन नाम के एक युवक का बेलारानी और मीरा नाम की दो अलग-अलग महिलाओं से संबंध था। मिलने में देरी होती तो दोनों महिलाएं उससे सवाल-जवाब करतीं थीं, जिससे बीरेन परेशान हो जाता था। एक बार बेलारानी ने बीरेन को बताया कि वह गर्भवती है। बीरेन ने गुस्से में बेलारानी की हत्या कर दी और उसके शरीर को टुकड़ों में काट डाला। बीरेन ने घर की आलमारी में शरीर के टुकड़ों को रख दिया और दो दिन तक वहीं उसी घर में सोता रहा। बाद में बेलारानी के शरीर के टुकड़ों को उसने शहर के अलग-अलग हिस्सों में फेंक दिया। उसकी लाश का एक हिस्सा कोलकाता में ही एक स्वीपर को टॉयलेट के पास न्यूजपेपर में लिपटा पैकेट मिला। पुलिस को सूचना दी गई। बाद में जांच में पता चला कि ये बेलारानी की लाश के टुकड़े थे। लाश की पहचान के बाद मामले का पर्दाफाश हुआ। बीरेन को फांसी की सजा दी गई थी।