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सिख विरोधी दंगों के 32 साल : विशेषज्ञ, सिख फोरम ने न्याय की मांग की

वर्ष 1984 के सिख विरोधी दंगों की 32वीं बरसी पर राजस्थान उच्च न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अनिल देव सिंह ने कहा है कि कर्तव्य की उपेक्षा करने वाले और दंगाइयों पर आंखें बंद कर लेने वाले सरकारी अधिकारियों को हिंसा में सहायता करने वाला घोषित किया जाना चाहिए।
सिख विरोधी दंगों के 32 साल : विशेषज्ञ, सिख फोरम ने न्याय की मांग की

दंगों को लेकर सिख फोरम द्वारा आयोजित एक पैनल चर्चा में न्यायमूर्ति सिंह ने नरसंहार के गवाहों को सुरक्षा नहीं दिए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। न्यायमूर्ति सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के अपने कार्यकाल के दौरान वर्ष 1996 में दंगा पीडि़तों को मिलने वाले मुआवजे की राशि में इजाफा किया था।

उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि वर्ष 1984 के दंगों के गवाहों को कोई सुरक्षा नहीं दी गयी है। इस मामले के अपराधियों में डर कायम करने की जरूरत है और निश्चित रूप से उनको दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा, अपने कर्तव्य की उपेक्षा करने वाले और दंगाइयों पर आंखें बंद कर लेने वाले सरकारी अधिकारियों को दंगों में सहायता करने वाला घोषित किया जाना चाहिए।

इसी तरह की राय रखते हुए पैनल में शामिल वरिष्ठ वकील और सिख विरोधी दंगा पीडि़तों के लिए लड़ने वाले एच एस फूलका ने कहा, जब तक हम अपराधियों को इंसाफ के कटघरे में नहीं ला देते हैं तब तक हम हार नहीं मानेंगे ताकि कोई अन्य नेता दोबारा अपनी शक्ति का दुरपयोग ना करे। कोई भी व्यक्ति देश या कानून से उपर नहीं है। वरिष्ठ वकील ने कहा कि नरसंहार को भूला नहीं जा सकता है क्योंकि अपराधियों के बच निकलने से बाद के वर्षों में इस तरह के और भी दंगे हुए।

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