मौजूदा आर्थिक हालात को लेकर बहस का सिलसिला जारी है। अर्थव्यवस्था के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू साल की पहली तिमाही में पांच फीसदी पर आ गई, जो छह साल के सबसे निचले स्तर पर है। वहीं ऑटोमोबाइल सेक्टर भी 21 साल के सबसे बड़े संकट का सामना कर रहा है। इन परिस्थितियों के बावजूद इस पर अभी तक प्रधानमंत्री नरेन्द्र की ओर से कोई बयान नहीं आया है। हालांकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की ओर से इस सुस्ती से निपटने कई कदम उठाए गए हैं। भले ही सरकार स्पष्ट तौर पर इसे संकट मानने से कतरा रही है। लेकिन भाजपा के ही कई बड़े नेता अर्थव्यवस्था का हाल बयां कर रहे हैं।
केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी और सुब्रमण्यम स्वामी सरीखे नेता खुलकर इसे बुरा दौर मान रहे हैं। अर्थव्यवस्था में मौजूदा सुस्ती को लेकर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने शनिवार को बयान दिया। उन्होंने इसे बुरा वक्त करार देते हुए कहा कि यह भी बीत जाएगा। इसके साथ उन्होंने ऑटोमोबाइल सेक्टर को ज्यादा चिंता न करने की सलाह भी दी। गडकरी ने कहा कि उद्योगों को परेशान होने की जरूरत नहीं है क्योंकि मुश्किल समय गुजर जाएगा। कार्यक्रम में गडकरी ने कहा, ‘मुझे पता है कि उद्योग काफी कठिन दौर से गुजर रहे है। हम वृद्धि दर बढ़ाना चाहते हैं।’
उन्होंने कहा कि हाल ही में वह ऑटोमोबाइल निर्माताओं से मिले थे और वे कुछ चिंतित थे। इसपर गडकरी ने उन्हें सलाह दी थी। उसका जिक्र करते हुए गडकरी बोले,‘मैंने उनसे कहा, कभी खुशी होती है, कभी गम होता है। कभी आप सफल होते हैं और कभी आप असफल होते हैं। यही जीवन चक्र है।’
पांच ट्रिलियन को अलविदा कहने के लिए तैयार हो जाओ- स्वामी
भाजपा के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा था, 'यदि कोई नई आर्थिक नीति आने वाली नहीं है, तो 5 ट्रिलियन को अलविदा कहने के लिए तैयार हो जाओ। न तो अकेला साहस या केवल ज्ञान अर्थव्यवस्था को क्रैश होने से बचा सकता है। इसे दोनों की जरूरत है। आज हमारे पास कुछ नहीं है।'
जेटली और राजन की नीतियों को ठहराया जिम्मेदार
वहीं इससे पहले स्वामी ने कहा था कि अब देश की अर्थव्यवस्था को "सुधारने की जरूरत" है क्योंकि यह राष्ट्रीय सुरक्षा एवं राष्ट्र-निर्माण दोनों के लिहाज से अहम है। राज्यसभा सदस्य ने कहा था कि पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली के कार्यकाल में अपनाई गईं "गलत नीतियां" अर्थव्यवस्था में सुस्ती के लिए जिम्मेदार हैं। उन्होंने ब्याज दर बढ़ाने के लिए रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की भी आलोचना की। स्वामी ने कहा था, "मेरा मानना है कि जेटली के कार्यकाल के दौरान अपनाई गईं गलत नीतियां- जैसे अधिक कर लगाना- अर्थव्यवस्था में सुस्ती का एक कारण है। ये नीतियां अभी भी लागू हैं। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन का नीतिगत दरें बढ़ाना भी सुस्ती के कारणों में से एक है।"