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वह अपनी मरी हुई बेटी को अचानक से ढूंढने लगती है

भारत में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न कोई नई बात नहीं है लेकिन जब ऐसी रिपोर्ट केरल जैसे सबसे अधिक साक्षर राज्य से हो तो थोड़ा हैरान करती है। बीते तीन-चार वर्षों से केरल में महिलाओं के खिलाफ उत्पीड़न के मामले तेजी से बढ़े हैं। यही नहीं महिलाओं द्वारा आत्महत्या की घटनाएं भी सबसे अधिक केरल में दर्ज की जा रही हैं। हाल ही में केरल के पेरूम्बवूर में 30 वर्षीय दलित महिला के साथ कथित बलात्कार एवं हत्या के सिलसिले में राष्ट्रीय महिला आयोग की जांच करने गई टीम की रिपोर्ट ऐसा बताती है।
वह अपनी मरी हुई बेटी को अचानक से ढूंढने लगती है

दलित लड़की के साथ बलात्कार कर बेरहमी से उसे कत्ल करने की घटना दिल्ली में हुए निर्भया बलात्कार घटना जैसी है। मामला राजनीतिक तौर पर भी तूल पकड़ रहा है। राष्ट्रीय महिला आयोग की तीन सदस्यीय टीम ने राज्य का दौरा कर जो तथ्य रखे हैं वे ऐसे मामलों में सरकारों का पुराना रवैया दोहरा रहे हैं।

 

राष्ट्रीय महिला आयोग की चेयरपर्सन ललिता कुमारमंगलम का कहना है कि वे इस मामले में हो रही जांच से बिल्कुल संतुष्ट नहीं हैं। राज्य में चुनाव होने की वजह से इस मामले में जांच ठंडी पड़ी हुई है। बलात्कार पीड़िता की मां की हालत बेहद खराब है। उसे कोई मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं दिया गया है। वह सोए हुए एक दम से उठक अपनी बेटी को ढूंढने लगती हैं। कुमारमंगलम का कहना है कि राज्य सरकार की विसरा लैब खराब है जिस वजह से जांच के लिए उसका विसरा किसी दूसरी लैब में भेजा गया है। महिला आयोग की टीम ने पाया कि जिस जगह लड़की के साथ बलात्कार किया गया वहां सुबूतों के साथ छेड़छाड़ की गई है। हर किसी को वहां आने-जाने दिया गया। यहां तक की जांच में लड़की के पड़ोसियों तक ने पुलिस से कोई बात नहीं की।

 

महिला आयोग ने अपनी जांच के आधार पर मांग की है कि वे राज्य चुनाव आयोग से कहेंगे कि राज्य में काबिल पुलिसकर्मियों को इस मामले की जांच में लगाया जाए। चुनाव आयोग से इसलिए कहा जाएगा क्योंकि राज्य में चुनाव होने की वजह से वीआईपी आवाजाई बहुत हो रही है। पुलिस का कहना है कि वे इन सब में व्यस्त हैं।

 

गौरतलब है कि 28 अप्रैल को एर्नाकुलम जिले के पेरूम्बवूर में गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाली विधि की इस छात्रा से बलात्कार किया गया और उसपर धारदार हथियार से नृशंस वार किए गए और उसकी हत्या कर दी गई। रात में करीब आठ बजे जब उसकी मां घर पहुंचीं तो उन्हें वह अपने एक कमरे के घर में खून से लथपथ मृत पड़ी मिली। इस वारदात को वर्ष 2012 में दिल्ली में एक चलती बस में एक युवती से हुए सामूहिक नृशंस बलात्कार की घटना से समानता की वजह से ‘केरल का निर्भया’ कांड करार दिया गया है।

 

केरल राज्य अनुसूचित जाति-जनजाति आयोग ने इस घटना पर स्वत: संज्ञान लेते हुए मामला दर्ज किया और पुलिस से 28 मई तक जांच की प्रगति रिपोर्ट सौंपने को कहा। केरल मानवाधिाकर आयोग ने इस वारदात की जांच अपराध शाखा को सौंपने का आदेश दिया। मीडिया रिपोर्ट के आधार पर मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति जे बी कोशी ने राज्य के पुलिस महानिदेशक को इस संदर्भ में निर्देश जारी किया।

 

 

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