पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम के खिलाफ लुकआउट नोटिस पर मद्रास हाई कोर्ट के अंतरिम रोक लगाने के फैसले के खिलाफ सीबीआई सुप्रीम कोर्ट गई थी। इसमें हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी गई थी। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश पर रोक लगाई जानी चाहिए।
सीबीआई ने कहा कि लुकआउट नोटिस का मतलब यह नहीं है कि कार्ति को जेल में डाल दिया जाएगा। यह इसलिए किया गया ताकि वे विदेश जाने से पहले एजेंसियों को सूचित करें।
सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायधीश खेहर ने एडिशनल सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि एेसा ही लगा जैसे सीबीआई कार्ति को जेल भेज देगी। हालांकि सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी। इसके साथ ही कार्ति के विदेश जाने पर रोक लगा दी गई। नतीजतन लुक आउट नोटिस फिर प्रभावी हो गया। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कार्ति 18 अगस्त को बताएं कि वह जांच में कब शामिल होंगे।
हाईकोर्ट ने लुकआउट नोटिस पर रोक लगा दी थी
इससे पहले 10 अगस्त को मद्रास हाई कोर्ट ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति को राहत देते हुए उनके खिलाफ जारी लुकआउट नोटिस पर अंतरिम रोक लगा दी थी। अदालत ने केंद्र सरकार से चार सितंबर के बाद इस मामले में जवाब देने को कहा है।
कार्ति ने हाई कोर्ट में दायर याचिका में लुक आउट नोटिस रद्द करने की मांग की थी और इसे केंद्र सरकार की बदले की कार्रवाई बताया थी। उन्होंने कहा कि इस सिलसिले में सीबीआई द्वारा जारी हर समन पर वे हाजिर हुए हैं। ऐसे में नोटिस जारी करने का कोई मतलब नहीं था।
क्या है मामला?
यह आईएनएक्स मीडिया से जुड़ा मामला है। सीबीआई के मुताबिक, आईएनएक्स मीडिया का कहना है कि उसकी तरफ से 10 लाख रुपए एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग (पी) लिमिटेड नाम की फर्म को दिए गए। सीबीआई के मुताबिक इस फर्म से कार्ति अपरोक्ष रूप से जुड़े हुए हैं। इसमें कार्ती के साथ इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी का नाम भी शामिल था।
सीबीआई ने इस मामले में उन्हें दो बार नोटिस भेजा था। कार्ती दोनों बार पेश नहीं हुए थे।