स्विस बैंकों से इस महीने मिली जानकारी के आधार पर सरकारो की भारतीयों की ब्लैक मनी के बारे में पर्याप्त विवरण मिल जाएगा। बैंक और रेगुलेटरी अधिकारियों ने कहा है कि सरकार को ऑटोमेटिक इन्फॉर्मेशन एक्सचेंज फ्रेमवर्क के तहत पहली बार आंकड़े प्राप्त हुए हैं। हालांकि ये आंकड़े उन खातों के बारे में हैं जिन्हें कार्रवाई के डर से खाताधारक पहले ही बंद किया जा चुका है।
केस चलाने के लिए मिलेंगे पर्याप्त सबूत
लेकिन बैंक अधिकारियों का कहना है कि बीते वर्ष 2018 के दौरान एक दिन भी सक्रिय रहे खाते के बारे में पूरी जानकारी दी गई है। स्विस सरकार के निर्देश पर वहां के सभी बैंकों ने ये जानकारी एकत्रित किए थे। अघोषित संपत्ति रखने वालों पर केस चलाने के लिए इस डाटा से सरकार को मजबूत सबूत मिल जाएंगे क्योंकि इससे सरकार को पैसा डिपॉजिट होने, ट्रांसफर होने और शेयर और अन्य स्रोतों में निवेश और उससे हुई कमाई के संबंध में काफी जानकारी मिल जाएगी।
मिलीं व्यापारियों और एनआरआइ की सूचनाएं
अपनी पहचान उजागर न करने की शर्त पर कई बैंक और रेगुलेटरी अधिकारियों ने कहा कि ज्यादातर प्राप्त जानकारी व्यापारियों और अप्रवासी भारतीयों के संबंध में है। इन अप्रवासियों में से की बहुत से अब दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों, अमेरिका, ब्रिटेन, अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों में रह रहे हैं। बैंक अधिकारियों ने माना कि स्विस बैंकों की गोपनीयता के खिलाफ दुनियाभर में अभियान शुरू होने के बाद से पिछले कुछ वर्षों में इन खातों में बड़ी रकम की निकासी हुई। ऑटोमेटिक एक्सचेंज ऑफ इन्फोर्मेशन के तहत उन खातों की भी जानकारी दी गई है, जो पिछले साल के दौरान बंद हो गए।
100 पुराने खातों की भी मिलेगी जानकारी
इसके अतिरिक्त भारतीयों के कम से कम 100 खाते ऐसे हैं जो 2018 से पहले ही बंद हो गए थे। इसकी जानकारी भारत को पिछले फ्रेमवर्क ऑफ म्यूचुअल एडमिनिस्ट्रेटिव असिस्टेंस के तहत सौंपने के लिए स्विटजरलैंड प्रक्रिया पूरी करने में जुटा है। भारतीय अधिकारियों ने इन खाताधारकों की कर संबंधी अनियमितताओं के शुरुआती सबूत दिए हैं। ये खाते व्यापारियों के है जो ऑटो कंपोनेंट, केमिकल, टेक्सटाइल, रियल एस्टेट, डायमंड, स्टील उत्पाद और ज्वैलरी के कारोबार में लगे हैं।
राजनीतिक संपर्कों वाले खातों पर खास फोकस
अधिकारियों ने कहा कि राजनीतिक संपर्कों वाले लोगों की पहचान के लिए स्विस बैंक के आंकड़ों का विशेष करने पर विशेष फोकस है। ऑटोमेटिक इन्फोर्मेशन एकस्चेंज के तहत जानकारी दिए जाने से पहले स्विस प्रतिनिधिमंडल पिछले साल भारत दौरे पर आया था। भारत और स्विटजरलैंड के बीच कर संबंधी सूचनाएं मांगने के अनुरोधों पर जल्द कदम उठाए जाने और जानकारी साझा किए जाने की संभावित प्रक्रिया के बारे मे विचार किया गया।