केजरीवाल सरकार को सीधे चुनौती देते हुए स्वराज इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा कि रामलीला मैदान का यह मैदान तख्त पर बैठाता है तो तख्त से उखाड़ भी फेंकता है। ‘जवाब दो, हिसाब दो’ रैली में स्वराज इंडिया ने जनता को अपनी बात रखने के लिए 11 मंच बनाए थे, जिसके लिए अच्छी खासी भीड़ उमड़ी। ‘साफ दिल, साफ दिल्ली’ के नारे के साथ योगेंद्र यादव ने दिल्ली नगर निगम चुनाव की अभियान की घोषणा की और आम आदमी पार्टी सरकार को चुनौती दी कि यदि वह अप्रैल में होने वाले निगम चुनाव में आधी सीट भी ले आती है तो उससे ‘वापस आओ (रिकॉल)’ की मांग वापस ले लिया जाएगा। इसके पहले ‘तीन सरकार, तीनों बेकार’ की नारेबाजी के बीच भीड़ के समर्थन से अविश्वास प्रस्ताव पारित किया गया। दिल्ली नगर निगम को बाहर जाओ (रिजेक्ट) कहा गया, दिल्ली सरकार को रिकॉल किया गया और उपराज्यपाल के माध्यम से दिल्ली में शासन करने वाली केंद्र सरकार से ‘सुधर जाओ (रिफॉर्म)’ की अपील की गई।
योगेंद्र यादव ने कहा, जो आज की रैली में लोग आए हैं वो दिल्ली के कोने-कोने से आए आम आदमी हैं जिन्हें अंतिम इंसान कहते हैं, वो पिछले एक महीने से कह रहे हैं, ‘जवाब दो हिसाब दो’। स्वराज इंडिया के अध्यक्ष ने कहा, ‘आप सरकार के सारे वादे अधूरे हैं। कॉन्ट्रैक्ट टीचर की समस्या आज तक जस की तस है। जब लोगों ने आवाज उठाई तो उपमुख्यमंत्री ने सामंती तरीके से डराने धमकाने का काम किया। ग्रामीण इलाकों उपेक्षा अभी भी जारी है। अनधिकृत कॉलोनी वालों में किसी को मालिकाना हक नहीं मिला। शहर को नशा मुक्त बनाने के बजाए 399 शराब की नई दुकानें खोल दी।’प्रशांत भूषण ने कहा आप ने दिल्ली के लोगों से किए गए वादे पूरे नहीं किए चाहे भ्रष्टाचाार मुक्त सरकार का वादा हो, वीआइपी संस्कृति समाप्त करने का दावा हो या मजबूत लोकपाल लाने की बात हो या फिर दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा देने या दिल्ली को महिलाओं के लिए सुरक्षित बनाने और शिक्षकों के लिए स्थाई नौकरी का विषय हो’।
स्वराज इंडिया ने दावा किया कि ‘जवाब दो, हिसाब दो’ सर्वे में दिल्ली सरकार और नगर निगम के कामकाज के बारे में पूछा गया। इसमें मात्र 11.6 प्रतिशत लोग ही दिल्ली सरकार से ख़ुश हैं, वहीं सिर्फ 8 प्रतिशत लोग नगर निगम के काम से ख़ुश हैं। इसमें दावा किया गया है कि सर्वे में लोगों से यह भी पूछा गया था कि वो अपने पार्षद, एमएलए और एमपी के काम से ख़ुश हैं या नहीं । 85.8 फीसद लोग अपने पार्षद से खुश नहीं हैं, वहीं 86.2 फीसद लोग अपने एमएलए के काम से खुश नहीं हैं और 71.6 फीसद लोग अपने सांसद के काम से खुश नहीं हैं।