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अमरनाथ यात्रा पर आतंकी कहर, सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था और सरकार

अमरनाथ यात्रा से लौट रहे श्रद्धालुओं पर जम्मू कश्मीर के अनंतनाग जिले में हुए आतंकी हमले के बाद सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं।
अमरनाथ यात्रा पर आतंकी कहर, सवालों के घेरे में सुरक्षा व्यवस्था और सरकार

बता दें कि यह हमला आतंकी बुरहान वानी की बरसी से दो दिन बाद सोमवार रात लगभग साढ़े आठ बजे हुआ है। इस हमले को जहां विपक्ष सुरक्षा में गंभीर चूक मान रहा है वहीं आम लोग गुस्से और दुख का इजहार कर रहे हैं।

मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को घेरते हुए इसे गंभीर चूक करार दिया है। कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि यह एक गंभीर और अस्वीकार्य सुरक्षा चूक है। प्रधानमंत्री को इसकी जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए। और इसे फिर से नहीं होने देना चाहिए।

 

वहीं कांग्रेस के प्रवक्ता आरएस सुरजेवाला ने कहा कि अगर 25 जून को खुफिया जानकारी थी कि अमरनाथ यात्रा पर हमला किया जाएगा, तो इससे निपटने का उपाय क्यों नहीं किया गया?” उन्होंने कहा कि अगर उग्रवादी हमले की सूचना जून माह से थी, तो सुरक्षा कवच में इतनी भारी भूल कैसे? साथ ही उन्होंने ट्वीट कर कहा, “अब केवल बातें नहीं, उग्रवाद को मुँहतोड़ जबाब देना होगा। ये सुरक्षा कवच में चूक है।”

एनडीए की सहयोगी दल शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कि अमरनाथ पर हमला दिल्ली के मौजूदा सरकार पर हमला है, उन्होंने कहा कि निंदा से काम नहीं चलेगा, पाकिस्तान को सबक सिखाया जाना चाहिए। राउत ने कहा कि अनंतनाग में आतंकी हमला हुआ, अब कहां है 56 इंच का सीना? उन्होंने कहा कि सरकार के पास बहुत ताकत है अब आंतकियों को 56 इंच का सीना दिखाने का समय आ गया है।

सीपीआई (एम) के नेता सीताराम येचुरी ने भाजपा सरकार को घेरते हुए ट्वीट किया कि साल 2000 में भी ऐसी घटना हुई थी जब एनडीए की अगुवाई वाली सरकार थी, अब फिर से 2017 में।

हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि किसी को भी हमले के बारे में राजनीति नहीं करनी चाहिए। सरकार को कुछ सवालों के जवाब देने की आवश्यकता होगी, आज नहीं तो कल। उन्होंने कहा हम लश्कर और आईएसआई को सफल होने की अनुमति नहीं दे सकते। देश एकजुट है। यह एक घृणित हमला था। 

श्राइन बोर्ड में पंजीकृत नहीं थी बस

अधिकारियों ने कहा कि बस न तो अमरनाथ श्राइन बोर्ड में पंजीकृत थी और ना ही सुरक्षा मानकों का पालन कर रही थी जो कि आतंकी खतरे को देखते हुए तीर्थयात्रा के लिए अनिवार्य है। अधिकारियों ने बताया कि गुजरात की पंजीकरण संख्या जीजे 09 जेड 9976 वाली बस में सवार लोगों ने यात्रा दो दिन पहले पूरी कर ली थी और तब से वे जम्मू और पहलगाम के बीच के अमरनाथ यात्रा के वाहन वाले मार्ग से हटकर श्रीनगर में थे।

कैसे नहीं लगी सुरक्षा एजेंसियों को भनक?

कहा जा रहा है कि सुरक्षा एजेंसियों को इस बस के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों के कार्य प्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। अधिकारियों ने कहा कि अमरनाथ यात्रियों को लेकर जा रहे सभी वाहनों को काफिले में जाते वक्त सुरक्षा कवर दिया जाता है लेकिन सुरक्षा एजेंसियों को इस बस के जाने के बारे में कोई सूचना नहीं थी। पहलगाम से जम्मू की तरफ जाने वाले वाहनों का सामान्य रूप से समय पूर्वान्ह का होता है क्योंकि अधिकारी सुनिश्चित करते हैं कि वे दिन में एक बजे तक कश्मीर छोड़ दें। हालांकि अब अधिकारियों का कहना है कि सोमवार की घटना को देखते हुए सुरक्षा उपायों की फिर से समीक्षा की जाएगी।

दोगुनी सुरक्षा व्यवस्था पर सेंध

इस वर्ष श्री अमरनाथ आने वाले श्रद्धालुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सुरक्षाबलों की दोगुनी कंपनियां तैनात की गई हैं। 2011 में 6.35 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र शिवलिंग के दर्शन किए थे, लेकिन इस साल कुल 2.30 लाख श्रद्धालुओं ने यात्रा के लिए पंजीकरण करवाया है और यह 2011 के कुल श्रद्धालुओं का करीब 36 प्रतिशत है। उसके बाद भी यह बड़ा हमला गंभीर है।

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