अखलाक के छोटे भाई चांद मोहम्मद का कहना है कि फिलहाल सारा परिवार गांव में ही है। न तो अभी कहीं जाने का इरादा है और न ही उनके पास ठिकाना। उनका कहना है कि गांव तो वैसे भी नहीं छूट सकता क्योंकि परिवार आर्थिक तौर पर इतना संपन्न नहीं है कि कहीं और जाकर रहना शुरू कर दे। चांद मोहम्मद का यह भी कहना है कि एयरफोर्स की ओर से अगर अखलाक के बेटे सरताज को घर दिया भी जाता है तो बड़ी हद सरताद अपनी मां, बहन-भाई और पत्नी को साथ ले जाएंगे लेकिन बाकी पूरे परिवार को तो गांव में ही रहना होगा। चांद मोहम्मद के अनुसार अखलाक को मिलाकर ये लोग चार भाई थे और तीन बहनें।
अखलाक के परिवार का इतना जरूर कहना है कि परिवार की महिलाओं ने रो-रो कर अभी भी बुरा हाल किया हुआ है। उनके मन बदलाव के लिए कुछ महीने के लिए किसी दूसरी जगह वे किराए पर जाने का विचार कर रहे हैं। गौरतलब है कि अखलाक के एक बेटे सरताज वायुसेना में काम करते हैं। दिक्कत यह है कि सरताज अगर अपने परिवार को अपने साथ ले भी जाएंगे तो बाकि का परिवार तो गांव में ही है। इनका कहना है कि वे गांव में रहना तो नहीं चाहते लेकिन यहां रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं है।