राज्य सभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने डीएपी के दामों में की गयी भारी बढ़ोत्तरी पर गहरी नाराज़गी जताते हुए कहा कि किसान पहले ही दर्द से तड़प रहा है ये भारी भरकम चोट वो कैसे बर्दाश्त करेगा। किसान देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत स्तंभ है, पता नहीं सरकार उससे कौन सी दुश्मनी निकाल रही है। सरकार जो सौतेला व्यवहार देश के किसानों के साथ कर रही है वैसा व्यवहार तो कोई दुश्मन के साथ भी नहीं करता। उन्होंने कहा कि 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का झांसा देकर सत्ता हथियाने वाली भाजपा राज में किसानों की आमदनी दोगुनी तो छोड़िये, किसान का खर्चा कई गुना बढ़ चुका है। उन्होंने सरकार से मांग करी कि डीएपी के दामों में की गयी बढ़ोत्तरी को तुरंत वापस लिया जाए।
उन्होंने कहा कि किसान और किसानी को बर्बाद करने पर तुली भाजपा सरकार ने पहले से ही महंगे डीजल, फसलों के कम भाव की मार से जूझ रहे किसानों से बदला निकालने व उन्हें आर्थिक रूप से तोड़ने के लिये डीएपी के दाम 58.33 प्रतिशत यानी ₹700 बढ़ाने का काम किया है। जो खाद की बोरी 1,200 रुपये में मिलती थी, उसका दाम अब 1,900 रुपये कर दिया गया। किसानों को भी क्या पता था की किसान सम्मान निधि से भी कई गुना पैसा उनसे ही वसूला जाएगा। कृषि लागत बढ़ रही है,समर्थन मूल्य मिल नहीं रहा,पर सरकारी ‘गुलाबी फाईलों’ में ‘आय दुगनी’ हो रही है। डीएपी के दामों में इतनी अधिक बढ़ोत्तरी पिछले 70 साल के इतिहास में कभी नहीं हुई। डीएपी के दाम बढ़ने से खरीफ की बुवाई शुरू होते ही हाहाकार मच जाएगा।
दीपेंद्र हुड्डा ने कहा कि किसानों को 2022 तक आमदनी दोगुनी का झूठा सब्जबाग दिखाने वाली भाजपा का असली चेहरा उजागर हो चुका है। 2022 आने में सिर्फ 8 महीने बचे हैं, लेकिन लगता है उससे पहले ही ये सरकार किसान को आर्थिक रूप से खत्म कर देना चाहती है। 3 कृषि कानूनों के खिलाफ आन्दोलनरत किसान एमएसपी की कानूनी गारंटी मांग रहे और वो भी अच्छे से समझ चुके हैं कि ये सरकार पूरी तरह से किसान विरोधी सरकार है। उन्होंने कहा कि किसान की आमदनी दोगुनी करने का तरीका बिल्कुल सीधा है - कि किसान को उसकी फसल का दोगुना दाम मिले। खाद, बीज, डीजल सस्ता मिले ताकि किसान का खर्चा घटे। लेकिन मौजूदा सरकार के उलटे फैसलों ने किसान का जीना दूभर कर दिया है। 2014 से अब तक फसलों की एमएसपी तो 30 फीसदी बढ़ी, डीजल बढ़ा 94 फीसदी, खाद के दाम अब एकमुश्त 58.33 फीसदी बढ़ गये। इतना ही नहीं, 3 कृषि कानूनों के जरिये इस सरकार ने किसानों की एमएसपी छीनने का भी इंतजाम कर दिया। जिसके खिलाफ पिछले 4 महीने से भी ज्यादा समय से किसान आंदोलनरत हैं और 300 से ज्यादा किसानों ने अपनी जान की कुर्बानी दे दी।
उन्होंने कहा कि कांग्रेस सरकार के दौरान खाद, बीज और ट्रैक्टर आदि कृषि उपकरणों पर किसी तरह का कोई टैक्स नहीं लगता था। लेकिन, आज हर चीज पर टैक्स पर टैक्स वसूला जा रहा है। आजादी के बाद के इतिहास में किसान का ऐसा उत्पीड़न कभी नहीं हुआ, जितना भाजपा सरकार में हो रहा है। सर्दी के बाद गर्मी का मौसम आ गया। चार महीने से ज्यादा समय से किसान सड़कों पर बैठे यातनाएं सह रहे हैं। तमाम यातनाएं, अपमान सहने, दुष्प्रचार झेलने और जान की कुर्बानी देने के बावजूद इस बेरहम सरकार का रवैया नहीं बदला। अहंकार में डूबा सत्ता पक्ष लगातार किसानों की कुर्बानी की खिल्ली उड़ा रहा है। आज हर वर्ग के मन में इस बात की टीस है कि ये सरकार जनता के लिये महंगी सरकार साबित होती जा रही है। लेकिन सरकार में बैठे लोगों को याद रखना चाहिए कि किसान पर मारी गयी हर चोट उनको अगले चुनाव में बहुत महंगी पड़ेगी।