6 दिसंबर 1992 की तारीख ने भारतीय राजनीति को नब्बे के दशक में बदल कर रख दिया। निश्चित ही इसे धर्म से ज्यादा राजनीतिक मुद्दा बना दिया गया और यही दलील मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में वक्फ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने दी। मंगलवार को मामले की सुनवाई 8 फरवरी 2018 तक टाल दी गई।
इस विवाद की जड़ें इतिहास में गहरी धंसी हुई हैं जिसका प्रस्फुटन तब दिखाई दिया और असर आज तलक दिखाई दे रहा है। आज बाबरी विध्वंस के 25 साल पूरे हो रहे हैं। इस मौके पर इन गहरी धंसी हुई जड़ों तक जाते हैं और इस पूरे मामले की टाइमलाइन पर एक सरसरी निगाह डालते हैं, जो 489 साल पुरानी है।
1528 - बाबर के सिपहसालार मीर बाकी ने अयोध्या में मस्जिद का निर्माण करवाया लेकिन कई लोग बाबर को ही इसका निर्माता मानते हैं।
बाबर
1853 - हिंदुओं का आरोप कि भगवान राम के मंदिर को तोड़कर मस्जिद का निर्माण हुआ। इस मुद्दे पर हिंदुओं और मुसलमानों के बीच पहली बार हिंसा हुई।
1856 - अवध के नवाब वाजिद अली शाह को सत्ता से बेदखल कर दिया गया और उन्हें कलकत्ता भेज दिया गया।
1857 - स्वतंत्रता के लिए क्रांति हुई। अवध ने इसमें अहम भूमिका निभाई।
1859 - ब्रिटिश हुकूमत ने तारों की एक बाड़ खड़ी करके विवादित भूमि के आंतरिक और बाहरी परिसर में मुस्लिमों और हिंदुओं को अलग-अलग प्रार्थनाओं की इजाजत दे दी।
1885 - मामला पहली बार अदालत में पहुंचा।
1934 - शाहजहांपुर में गोहत्या की एक खबर से यहां सांप्रदायिक दंगे हुए। मस्जिद को भी नुकसान हुआ जिसे बाद में ठीक कर दिया गया।
1944 - सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विवादित जगह को सुन्नी की संपत्ति घोषित की क्योंकि बाबर एक सुन्नी था।
1949 - मस्जिद के अंदर राम की मूर्ति पाई गई। मुसलमानों ने शिकायत की और मुकदमा दर्ज किया। हिंदुओं ने भी मुकदमा दर्ज कर दिया जिसकी वजह से तत्कालीन सरकार ने इसे विवादित मुद्दा बताकर दरवाजे पर ताला लगवा दिया।
1950 - हिंदू पुजारियों ने यहां पूजा किए जाने की इजाजत को लेकर कई मुकदमे दायर किए। महंत परमहंस रामचंद्र दास ने हिंदू प्रार्थनाएं जारी रखने और बाबरी मस्जिद में राममूर्ति को रखने के लिए मुकदमा दायर किया। मस्जिद को ‘ढांचा’ नाम दिया गया।
1959 - निर्मोही अखाड़ा ने विवादित स्थल हस्तांतरित करने के लिए मुकदमा दायर किया।
1961 - उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद के मालिकाना हक के लिए मुकदमा दायर किया।
1964 - ‘’हिंदू हितों’’ की रक्षा के लिए विश्व हिंदू परिषद का गठन।
1984 - विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने बाबरी मस्जिद के ताले खोलने और राम जन्मस्थान को स्वतंत्र कराने व एक विशाल मंदिर के निर्माण के लिए अभियान शुरू किया।
1984 - इंदिरा गांधी की हत्या के बाद हुए आम चुनावों में सहानुभूति लहर के चलते कांग्रेस की बड़ी जीत हुई। जनसंघ से निकली भाजपा दो सीटों पर सिमट गई।
हिंदू गुटों ने राम मंदिर बनाने के लिए एक कमेटी का गठन किया।
1986 - एक कोर्ट ऑर्डर के बाद विवादित जगह पर हिंदुओं को पूजा की इजाजत दी गई। इसकी वजह से बाबरी एक्शन कमेटी ने विरोध प्रदर्शन की शुरुआत कर दी।
बाबरी एक्शन कमेटी
1989 - विश्व हिंदू परिषद ने फिर से मंदिर बनाने के लिए आंदोलन तेज किया और मस्जिद के बगल राम मंदिर की नींव डाल दी।
1989 – वीपी सिंह सरकार भाजपा और सीपीआई (एम) के सहयोग से सत्ता में आई। जल्द ही वीपी सिंह ने ओबीसी आरक्षण के लिए मंडल कमीशन की सिफारिशें लागू करने की इच्छा जताई।
1990 – लाल कृष्ण आडवाणी ने 25 सितंबर को गुजरात के सोमनाथ से राम रथ यात्रा शुरू की। 23 अक्टूबर को लालू प्रसाद यादव ने बिहार के समस्तीपुर में रथ यात्रा पर रोक लगा दी और आडवाणी को गिरफ्तार करवा दिया।
विवादित जगह की ओर कूच कर रहे विहिप कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने गोलियां चलाईं।
1990-91 - भाजपा को चार राज्यों – मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में जीत हासिल हुई।
1992 - अयोध्या में कारसेवक जुटने शुरू हुए और 6 दिसंबर को मस्जिद गिरा दी गई। यूपी के सीएम कल्याण सिंह ने इस्तीफा दे दिया। आडवाणी, उमा भारती, मुरली मनोहर जोशी के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।
1992 – प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव ने चार राज्यों में भाजपा सरकार को बर्खास्त कर दिया।
इसी दौरान बाबरी विध्वंस को लेकर लिब्रहान आयोग का गठन किया गया।
1992-93- बंबई (मुंबई) में बम ब्लास्ट और सांप्रदायिक दंगे हुए। सैकड़ों लोग मारे गए।
2002 – प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने कार्यालय में इस मुद्दे को लेकर एक सेल का गठन किया। दोनों पक्षों से बात करने के लिए शत्रुघन सिंह को नियुक्त किया गया।
2002 – गुजरात के गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाई गई। इस ट्रेन में कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे। इसके बाद गुजरात के भयावह दंगे हुए।
2003 – आर्कियोलॉजिकल सर्व ऑफ इंडिया ने कोर्ट के आदेश पर जगह की खुदाई करनी शुरू की ताकि राम मंदिर के सबूतों का पता लगाया जा सके लेकिन मुस्लिमों ने विरोध किया।
2004 – यूपी की एक कोर्ट ने लाल कृष्ण आडवाणी को बाबरी विध्वंस में रोल से बरी कर दिया।
2005 – विवादित जगह की दीवार में छेद करने की कोशिश करने वाले पांच संदिग्ध उग्रवादियों को मार गिराया गया।
2009 – गठन के 17 साल पर लिब्रहान आयोग ने अपनी रिपोर्ट सौंपी।
2010 - इलाहाबाद हाई कोर्ट ने विवादित जगह को तीन हिस्सों- हिंदू, मुस्लिम और निर्मोही अखाड़ा के बीच बांट दिया। मस्जिद की जगह हिंदुओं को दी गई।
2011 – हिंदू और मुस्लिम समूहों की अपील के बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले को स्थगित कर दिया।
2014 – नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई।
2017 – सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आडवाणी, जोशी और उमा भारती के खिलाफ चार्ज हटाए नहीं जा सकते।
19 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में भाजपा के इन नेताओं को आपराधिक साजिश रचने का दोषी पाया और लखनऊ ट्रायल कोर्ट से सुनवाई दो सालों में पूरी करने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि विवादित जमीन पर केवल राम मंदिर बनेगा।
5 दिसंबर, 2017 – सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई 8 फरवरी, 2018 तक टाल दी।