चुनाव आयोग ने कहा है कि सितंबर 2018 के बाद लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं। हालांकि आयोग ने साफ किया है कि संसाधनों के अभाव के चलते सितंबर 2018 के पहले यह संभव नहीं हो पाएगा। मध्य प्रदेश में एक कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे चुनाव आयुक्त ओपी रावत ने यह जानकारी दी है।
ओपी रावत ने कहा, ‘‘केन्द्र सरकार ने निर्वाचन आयोग से पूछा था कि लोकसभा एवं विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए सक्षम होने के लिए उसे किस चीज की जरूरत है। इसके जवाब में निर्वाचन आयोग ने नई ईवीएम एवं वीवीपीएटी मशीनें खरीदने के लिए केन्द्र से धनराशि की मांग की थी। यह हमें मिल भी गया है।’
However it is up to the government to take a decision and make required legal amendments,and all parties to be on board: OP Rawat,EC
— ANI (@ANI) October 5, 2017
रावत के मुताबिक विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने के लिये कुल 40 लाख मशीनों की जरूरत होगी। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार ने इस बारे में चुनाव आयोग से जानकारी मांगी थी और तब आयोग ने सरकार को अपनी जरूरतों के बारे में बता दिया था। उन्होंने कहा कि इसके लिए केन्द्र सरकार की ओर से आवश्यक धनराशि उपलब्ध करा दी गई है।
वीवीपैट मशीन के लिये 3400 करोड़ रुपये और ईवीएम के लिये 12 हजार करोड़ रुपये केन्द्र सरकार की ओर से दिए गए हैं। दो सरकारी क्षेत्र की कंपनियों को मशीनों के ऑर्डर दिए गए हैं। रावत के मुताबिक दोनों ही कम्पनियों ने मशीनों की आपूर्ति शुरू कर दी है। सितम्बर 2018 तक चुनाव आयोग के पास सभी मशीनें पहुंच जाएंगी। इनके अलावा अन्य आवश्यक तैयारियां भी पूरी कर ली जाएंगी। उन्होंने कहा कि उसके बाद जब भी सरकार चाहेगी, चुनाव आयोग लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने में सक्षम होगा।
मध्य प्रदेश में एक कार्यक्रम में हिस्सा लेने पहुंचे रावत ने कहा कहा कि अब हर जगह वीवीपैट मशीनों के जरिए ही चुनाव कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी साफ किया कि हमारी ईवीएम से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है लेकिन विश्वसनीयता बनाये रखने के लिए वीवीपैट मशीनों का इस्तेमाल किया जायेगा। उन्होंने पिछले दिनों गोवा में हुये विधानसभा चुनाव का उदाहरण देते हुये बताया कि वहां 4 जगहों पर मशीनों में गड़बड़ी की शिकायत की गई थी। इस शिकायत के आधार पर ईवीएम और वीवीपैट मशीनों से निकली स्लिप का मिलान किया गया। मिलान करने पर कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई।
रावत ने ईआरओ नेट का शुभारंभ करते हुए कहा कि इस व्यवस्था के लागू होने से मतदाताओं का एक स्थान से दूसरे स्थान पर पंजीकरण कराना आसान हो जाएगा। देश के किसी भी कोने में बैठे अधिकारी ऑनलाइन यह देख सकेंगे कि वोटर का नाम पहले कहां दर्ज था। रावत के मुताबिक इस व्यवस्था की वजह से मतदाता सूची में गड़बड़ी की आशंकाओं पर विराम लगेगा।