सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉल्यिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के संस्थापक निदेशक और वरिष्ठ वैज्ञानिक पीएम भार्गव ने कहा है कि अपना पद्म भूषण लौटाएंगे क्योंकि उन्हें महसूस हो रहा है कि देश में डर का माहौल है और यह तर्कवाद, तार्किकता और वैज्ञानिक सोच के खिलाफ है।सन 1986 में पद्म भूषण सम्मान पाने वाले पीएम भार्गव ने कहा, विज्ञान के लिए मुझे मिले सौ से ज्यादा पुरस्कार मिले, इनमें 'पद्म भूषण' का विशेष स्थान रहा है। लेकिन आज जब सरकार धर्म को सांस्थानिक रुप देने का प्रयास कर रही है, आजादी छीनी जा रही और वैज्ञानिकता व तार्किक सोच पर चोट पहुंचाई जा रही है तो मेरा इस पुरस्कार से कोई लगाव नहीं रह गया है। उन्होंने उम्मीद जताई कि देश के युवा वैज्ञानिक भी मौजूदा हालात का विरोध करते हुए अपनी आवाज़ उठाएंगे।
गौरतलब है कि देश के 135 वैज्ञानिकों ने राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को संबोधित एक ऑनलाइन याचिका के जरिये देश में बढ़ती कट्टरता के खिलाफ एकजुटता दिखाई है। भार्गव ने कहा है कि उन्होंने पद्म भूषण पुरस्कार लौटाने का निर्णय लिया है और इसका कारण यह है कि वर्तमान सरकार लोकतंत्र के रास्ते से दूर जा रही है। भारत को पाकिस्तान बनाने की कोशिश हो रही है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कई पदों पर ऐसे लोगों की नियुक्ति की गई जिनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से कोई ना कोई संबंध था। भाजपा संघ का राजनीतिक मुखौटा है, स्वामी संघ ही है। सीएसआईआर के निदेशकों की एक बैठक में भी संघ के लोग शामिल हुए। सीएसआईआर के इतिहास में एेसा कभी नहीं हुआ।
पुरस्कार लौटाने वाले अधिकांश भाजपा विरोधी तत्व: अरुण जेटली
साहित्यकारों, फिल्मकारों और वैज्ञानिकों के पुरस्कार लौटाने पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए केंद्रीय मंत्री अरूण जेटली ने कहा है कि पुरस्कार लौटाने वालों में अधिकतर कट्टर भाजपा विरोधी तत्व हैं। पटना में जेटली ने कहा, आप उनके ट्वीट और विभिन्न सामाजिक एवं राजनीतिक मुद्दों के रूख को देखें। आप उनके भीतर काफी हद तक कट्टर भाजपा विरोधी तत्व पाएंगे।
भार्गव ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि उनका कदम राजनीति से प्रेरित नहीं है। उन्होंने कहा, मैं संप्रग सरकार का भी कटु आलोचक रहा हूं। मैंने अपनी किताब ए क्रिटिक एगेंस्ट द नेशन में संप्रग सरकार की आलोचना की है लेकिन संप्रग सरकार हमें नहीं बताती थी कि हमें क्या खाना है, कैसे कपड़े पहनना चाहिए और ना ही हमेें नैतिकता का पाठ पढ़ाती थी। लेकिन वर्तमान सरकार हमें यह सब बता रही है जिसे मैं अस्वीकार्य पाता हूं, इन सभी निर्णयों में हमें तर्कहीनता नजर आती है।