ट्रांसपोर्टरों की शीर्ष इकाई आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस (एआईएमटीसी) द्वारा आहूत इस अनिश्चितकालीन हड़ताल के दायरे से दूध, सब्जियों और दवाओं जैसी आवश्यक चीजों की आपूर्ति को बाहर रखा गया है। तमिलनाडु, राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, बिहार और उत्तर प्रदेश सहित राज्यों से मिली खबरों के अनुसार सामान की आपूर्ति प्रभावित हुई है।
एआईएमटीसी के अध्यक्ष भीम वाधवा ने कहा, ‘टोल बैरियर मुक्त भारत के लिए हमारे सदस्य जंतर मंतर पर आज शांतिपूर्ण धरना देंगे। जब तक सरकार हमारी समस्या का कोई व्यावहारिक समाधान नहीं करती तब तक हम हड़ताल जारी रखेंगे। हम टोल भुगतान के खिलाफ नहीं हैं, लेकिन हम इसे वार्षिक रूप से किए जाने की मांग कर रहे हैं। इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रहण प्रणाली जैसा कि सरकार ने वायदा किया है, व्यावहारिक नहीं है।’
एआईएमटीसी का दावा है कि उसके पाले में देशभर में 87 लाख टक और 20 लाख बस और टेम्पो हैं। ट्रक ऑपरेटरों की एक अन्य इकाई ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (एआईटीडब्ल्यूए) ने हड़ताल से दूर रहने का फैसला किया है। वाधवा ने कहा कि ट्रक ऑपरेटरों को तीन दिन में करीब 4,500 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि सरकार को 30 हजार करोड़ रूपये से अधिक का नुकसान हो सकता है। हालांकि सरकार ने कहा है कि वह टोल संग्रहण प्रणाली को खत्म नहीं कर सकती।
सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि हड़ताल जारी रखना उन (ट्रांसपोर्टरों) पर निर्भर करता है। सरकार टोल को समाप्त नहीं कर सकती। हम पहले ही दिसंबर तक पूरे भारत में इलेक्ट्रानिक टोल प्रणाली लागू करने का आश्वासन दे चुके हैं। मैं उनसे हड़ताल खत्म करने की अपील करता हूं।
एआईएमटीसी मौजूदा टोल प्रणाली को यह कहकर खत्म करने की मांग कर रही है कि यह परेशान करने का साधन है। वह एक ही बार में करों का भुगतान करने और टीडीएस प्रक्रिया को सामान्य बनाने की मांग कर रही है।
दूसरी ओर, इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च एंड ट्रेनिंग (आईएफटीआरटी) ने कहा कि एआईएमटीसी की एकमुश्त वार्षिक टोल जमा करने की सलाह तार्किक नहीं है।