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मदर टेरिसा पर संघ के बयान से बवाल

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने एक बार फिर मदर टेरिसा के सेवा भाव को ईसाई धर्म परिवर्तन से जोड़ कर राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने मदर टेरिसा पर सीधा हमला करते हुए कहा कि अगर सेवा के नाम पर धर्मपरिवर्तन किया जाएग, तो सेवा भाव का मान गिर जाता है।
मदर टेरिसा पर संघ के बयान से बवाल

भागवत के इस बयान की दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने तीखी आलोचना करते हुए कहा कि मदर टेरेसा को इस तरह के हमलों से बख्श देना चाहिए। वह एक पवित्र आत्मा थी। साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि नोबल पुरस्कार विजेता मदर टेरेसा के साथ काम करने का अवसर उन्हें कुछ समय के लिए मिला था।

संघ प्रमुख ने मदर टेरेसा पर विवादास्पद बयान भरतपुर में महिला सदन औऱ शिशु बाल गृह का उद्घाटन करते हुए दिया। उन्होंने कहा, मदर टेरेसा की सेवाएं अच्छी हो सकती । लेकिन उनका एक उद्देश्य था। जिसकी सेवा हो रही है, उसमें कृतज्ञता विकसित करना और उसे ईसाई बनाना। सवाल धर्मपरिवर्तन का नहीं है। सवाल यह है कि अगर सेवा परिवर्तन की आड़ में हो रही है, तो इसका मान गिर जाता है।

संघ के निशाने पर लंबे समय से मदर टेरेसा की सेवा रही है। यह आरोप नया नहीं है। लेकिन इस बयान का उस समय आना जब संसद का बजट सत्र चालू है,कई सवाल पैदा करता है। इस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया आना लाजमी है। मदर टेरेसा को देश की अधिसंख्य जनता सेवा की प्रतिमूर्ति के रूप में देखती है। विश्व हिंदू परिषद भी समय-समय पर यह विवाद खड़ा करती रही है।

देश के अल्पसंख्यक समुदायों को निशाना बनाने की अपनी लगातार कवायद के ही अंग के रूप में दूसरी तरफ संघ के मुख्यपत्र ऑर्गनाइजर ने भी मुसलमानों से अपनी आत्मा की तलाश करने को कहा है। इस पत्रिका के एक लेख में कहा गया है कि मुसलमानों को दूसरे संप्रदायों पर उंगली उठाने से पहले अपने अंदर झांके। इस लेख में मुस्लिम संगठनों और उलेमाओं द्वारा आम मुसलमानों को हिंदुओं से टकराने के गलत रास्ते पर चलाने की बात कही है। लेख में कहा गया है कि इन लोगों पर मुस्लिम युवाओं में बहुसंख्यक विरोधी, मानवता विरोधी भावनाएं भड़काने पर सवाल उठाए जाने चाहिए। 

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