दरअसल दाऊद ने मोदी सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ बड़े पैमाने पर साजिश रची थी। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने दावा किया है कि उसके निशाने पर न सिर्फ धार्मिक और आरएसएस के नेता थे, बल्कि वह चर्चों को भी निशाना बनाने की योजना बना चुका था। मीडिया सूत्रों के हवाले से खबर है कि डी-कंपनी के इन सदस्यों को मोदी सरकार बनने के तुरंत बाद भारत में तनाव फैलाने, चर्चों और आरएसएस नेताओं को निशाना बनाने का जिम्मा सौंपा गया था। एक बड़ी साजिश के तहत दाऊद के शार्पशूटरों ने 2 नवंबर 2015 को गुजरात में दो दक्षिणपंथी नेताओं शिरीष बंगाली और प्रग्नेश मिस्त्री की हत्या भी कर दी थी। दाऊद के गुर्गों ने ये हत्या मुंबई सीरियल ब्लास्ट के दोषी याकूब मेमन की फांसी का बदला लेने के मकसद से की थी। इस मामले में एनआईए डी-कंपनी के 10 मेंबर्स के खिलाफ जल्द ही चार्जशीट दाखिल करने जा रही है। इसी में खुलासे किए गए हैं। चर्चा है कि इस पूरे हत्याकांड में आबिद पटेल और चिकना भाई शामिल रहे हैं और पटेल को मिस्त्री और बंगाली को मारने के लिए 50 लाख रुपये मिले थे। जांच के दौरान राष्ट्रीय जांच एजेंसी को पता चला कि डी-कंपनी के पाकिस्तान स्थित सदस्य जावेद चिकना और साउथ अफ्रीका मूल के जाहिद मियां उर्फ 'जाओ' हिंदू नेताओं की हत्याओं के मास्टरमाइंड थे। उनकी दूसरे धार्मिक नेताओं और चर्चों पर हमला करने की योजना थी ताकि देश में तनाव फैल सके। उन्होंने बीजेपी और आरएसएस के नेताओं की एक हिटलिस्ट भी तैयार की थी।एक मीडिया रिपोर्ट में इस चार्जशीट के हवाले से बताया गया है कि जब मोदी 2014 में सत्ता में आए थे, तभी से दाऊद ने साजिश रच ली थी।