राजस्थान के अलवर में कथित तौर पर गौरक्षा के नाम पर हुई हत्या के विरोध में कई जनसंगठनों ने वसुंधरा सरकार को ज्ञापन सौंपकर आरोपियों की गिरफ्तारी और गौरक्षा के नाम पर होने वाली हिंसा पर रोक लगाने की मांग की है।
बता दें कि 10 नवम्बर को उमर खान नाम का शख्स रामगढ़ से अपने साथियों के साथ कुछ गाय लेकर वापस गांव लौट रहा था तो गोविन्दगढ़ के पास तथाकथित गौरक्षकों उन पर हमला किया और उसका शव रेलवे ट्रैक के पास से बरामद हुआ था।
इन जनसंगठनों का आरोप है कि रामगढ़ पुलिस भी घटना में शामिल थी।
संगठनों का कहना है कि पिछले 2 वर्षों में गाय के नाम पर 4 हत्याएं हो चुकी हैं और कई हमले हो चुके हैं।
बता दें कि 30 मई 2015 को बिरलोका गांव, डिडवाना-नागौर के अब्दुल गफार कुरेशी की हत्या हुई। 1 अप्रैल 2017 को हरियाणा मेवात के पहलू खान की बहरोड़ थाना इलाके, अलवर जिले में हत्या हुई।
16 जून 2017 को जफर खान की हत्या प्रतापगढ में स्वच्छ भारत अभियान के तहत हुई। 12 सितम्बर 2017 को भगताराम मीणा, नीम का थाना, सीकर जिले में हत्या हुई।
संगठन का कहना है कि सिर्फ और सिर्फ रामगढ़ की पुलिस व तथाकथित गौरक्षकों की गिरफ्तारी तुरन्त की जाए। साथ ही उमर खान के परिवार के लिए मुआवजे और गौतस्करी की एफआईआर वापस लिए जाने की मांग की गई है। विरोध प्रदर्शन में उमर खान के चाचा भी शामिल हुए।
इन संगठनों में कविता श्रीवास्तव (अध्यक्षा, पी.यू.सी.एल. राजस्थान), अनन्त भटनागर (महासचिव, पी.यू.सी.एल. राजस्थान), निखिल डे (मजदूर किसान शक्ति संगठन), मौलाना हनिफ (उपाध्यक्ष, पी.यू.सी.एल.), नूर मोहम्मद (सचिव, अलवर इकाई, पी.यू.सी.एल.), सुमित्रा चैपड़ा (एडवा), निशा सिद्धू (एन.एफ.आई.डब्ल्यू.), मुकेश निर्वासित (आर.टी.आई. मंच), बसंत हरियाणा (नागरिक मंच), कोमल श्रीवास्तव (भारत ज्ञान विज्ञान समिति), राशिद हुसैन (वेलफेयर पार्टी), भंवर मेघवंशी (पी.यू.सी.एल.), मोहम्मद इकबाल (जमायते इस्लामी हिन्द), हरकेश बुगालिया (निर्माण मजदूर यूनियन), पप्पू (पी.यू.सी.एल.) ने ज्ञापन दिया।