रोहित की मां राधिका और भाई नागा चैतन्य वेमुला, जिसे राजा वेमुला के नाम से जाना जाता है , ने डॉ. बी. आर. अंबेडकर के पोते प्रकाश अंबेडकर की मौजूदगी में दादर में एक समारोह में दीक्षा ली। दलित महानायक और भारतीय संविधान के शिल्पकार अंबेडकर ने 1956 में नागपुर में एक विशाल समारोह में बौद्ध धर्म ग्रहण किया था क्योंकि वह हिंदूवाद में जाति व्यवस्था के घोर विरोधी थे।
दीक्षा समारोह स्थल पर दोनों मां बेटों ने डॉ. अंबेडकर को श्रद्धांजलि दी और उनकी तस्वीर के समक्ष सिर झुकाया। राजा वेमुला ने कहा, मेरा भाई दिल से बौद्ध था , भले ही उसने इस धर्म की दीक्षा नहीं ली थी। उसने खुद अपनी जान ले ली क्योंकि दलित होने के कारण उसके साथ भेदभाव किया गया था। बौद्ध धर्म के प्रति उसके प्यार को देखते हुए हमने उसका अंतिम संस्कार बौद्ध परंपराओं के अनुसार किया था।
वेमुला ने कहा, रोहित बौद्धवाद के बारे में काफी बात करता था। उसने कुलपति को एक पत्र भी लिखा था कि किस प्रकार परिसर में दलितों के खिलाफ भेदभाव किया जाता है। मेरी मां का मानना है कि रोहित के सम्मान में हमें बौद्ध धर्म अपनाना चाहिए। रोहित के भाई ने कहा, हम हिंदूवाद में जाति व्यवस्था के खिलाफ हैं इसलिए बौद्धवाद को अपनाने का फैसला किया, जिसमें जातियों की इस प्रकार की दमनकारी व्यवस्था नहीं है।