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उन्नाव रेप: पीड़िता ने अगस्त में लगाई थी सीएम योगी से गुहार, हाईकोर्ट के आदेश से खुलासा

उन्नाव रेप केस में एक अहम खुलासा हुआ है। पीड़िता ने इस मामले की शिकायत पिछले साल अगस्त में ही...
उन्नाव रेप: पीड़िता ने अगस्त में लगाई थी सीएम योगी से गुहार, हाईकोर्ट के आदेश से खुलासा

उन्नाव रेप केस में एक अहम खुलासा हुआ है। पीड़िता ने इस मामले की शिकायत पिछले साल अगस्त में ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय से कर इंसाफ की गुहार लगाई थी, लेकिन पुलिस ने मामले में कोई तत्परता नहीं दिखाई। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में सामने आए इस तथ्य से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस दावे पर सवाल खड़ा हो गया है कि उन्हें मामले की जानकारी 9 अप्रैल को ही मिली। योगी का कहना है कि मामले की जानकारी मिलते ही उन्होंने तुरंत एसआईटी गठित करने और मामले की सीबीआई जांच कराने की सिफारिश कर दी थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के जिस आदेश में 17 वर्षीय लड़की से रेप के आरोपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को गिरफ्तार करने का आदेश दिया गया था, उसी आदेश में जिक्र है कि पीड़िता ने अगस्त, 2017 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कार्यालय में विधायक के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। मुख्यमंत्री के विशेष सचिव ने इस शिकायत को उन्नाव पुलिस को भेज दिया था, लेकिन पुलिस ने विधायक के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। 

शुक्रवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीबीआई को विधायक सेंगर की तुरंत गिरफ्तारी का आदेश देते हुए पुलिस और प्रशासन पर कई गंभीर सवाल खड़े किए थे। चीफ जस्टिस दिलीप बी. भोंसले और  जस्टिस सुनीत कुमार की बैंच ने राज्य सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था कुलदीप सिंह सेंगर के प्रभाव में हैं। इस मामले में आरोपी विधायक ने पीड़िता और उसके परिजनों को आतंकित करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। अदालत ने इस मामले में मेडिकल अफसर और यूपी सरकार के एडवोकेट जनरल के रवैये पर भी गंभीर सवाल उठाए हैं। अदालत ने कहा कि आरोपी की हिरासत पर्याप्त नहीं है, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए। सीबीआई से दो मई तक रिपोर्ट पेश करने को कहा है।

इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश का अंश 

 

20 पन्नों के इस आदेश के मुताबिक, अगर यूपी पुलिस पीड़िता की मुख्यमंत्री से शिकायत पर समय रहते कार्रवाई करती तो शायद उसके पिता जिंदा होते। लेकिन जिले की पुलिस और प्रशासन पर आरोपी विधायक का इतना प्रभाव था कि मेडिकल ऑफिसर ने पीड़िता का मेडिकल करने से इंकार कर दिया। पीड़िता और उसके परिजन इंसाफ के लिए इधर-उधर भटकते रहे, लेकिन मुख्यमंत्री तक पहुंचने के बावजूद उनकी शिकायत दर्ज नहीं हुई। आरोपी के दबाव से तंग आकर पीड़िता ने आत्मदाह का प्रयास भी किया। इंसाफ मिलने की जगह उल्टे पीड़िता के पिता को ही गिरफ्तार कर लिया गया और हिरासत में बुरी तरह मारा-पीटा।

सीबीआई ने सेंगर को शुक्रवार सुबह लखनऊ स्थित उनके घर से हिरासत में लिया था। लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बावजूद शाम तक सीबीआई उसे हिरासत में बताती रही। कथित बलात्कार की यह घटना जून, 2017 की है। पीड़िता का कहना है कि घटना के बाद से ही विधायक के डर से वह और उसके पिता दिल्ली आ गए थे। पिछले दिनों जब पीड़िता ने मुख्यमंत्री आवास के सामने आत्मदाह का प्रयास किया था तो यह मामला प्रकाश में आया। इसके बाद आनन-फानन में एसआईटी का गठन किया गया था। अब यह मामला सीबीआई के हवाले है जो बलात्कार के अलावा पीड़िता के पिता की मौत के मामले की जांच भी कर रही है। 

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