विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी हालिया रिपोर्ट में खुलासा किया है कि भारत के 57 प्रतिशत एलोपेथिक डॉक्टरों के पास मेडिकल क्वालिफिकेशन नहीं है। रिपोर्ट को पढ़कर अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश में चिकित्सा व्यवस्था का ढांचा कितना कमजोर है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इनमें से एक तिहाई डॉक्टर ऐसे हैं जो केवल सेकेंडरी स्कूल तक ही शिक्षित हैं और दूसरों का इलाज कर रहे हैं।
यूएन वर्ल्ड हैल्थ ऑर्गनाइजेशन की रिपोर्ट ''द हैल्थ वर्कफोर्स इन इंडिया'' में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। यह रिपोर्ट करीब दस साल पुराने आंकड़ों के आधार पर तैयार की गई है। वर्ष 2001 के तथ्यों को इसमें शामिल किया गया है।
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के ग्रामीण क्षेत्रों में केवल 18.8 प्रतिशत स्वास्थ्य कर्मी ही मेडिकल क्वालीफाई हैं। आंकड़ों के आधार पर देश में औसतन एक लाख की आबादी में 80 डॉक्टर हैं। जिनमें 36 डॉक्टर ऐसे हैं जिनके पास एलोपेथिक, होम्योपेथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी से संबंधित कोई भी मेडिकल सर्टिफिकेट नहीं है। डब्ल्यूएचओ ने हालांकि इस स्टडी में आंकड़े 2001 की जनगणना से लिये हैं। लेकिन इसके बाद भी यह आंकड़े आश्चर्य में डालने वाले हैं।