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पीएम मोदी ने 2001 संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जानें क्या था 13 दिसंबर का वो पूरा घटनाक्रम

पीएम मोदी ने 2001 संसद हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी, जानें क्या था 13 दिसंबर का वो पूरा घटनाक्रम

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को उन सुरक्षाकर्मियों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने 2001 में आज ही के...
पुंछ के ताजा हमले की तरह राजौरी में 2001 में हुआ था हमला, 14 पुलिसकर्मी हुए थे शहीद: सुरक्षा अधिकारी

पुंछ के ताजा हमले की तरह राजौरी में 2001 में हुआ था हमला, 14 पुलिसकर्मी हुए थे शहीद: सुरक्षा अधिकारी

जम्मू एवं कश्मीर के पुंछ में हाल ही में सेना के एक ट्रक पर घात लगाकर किया गया हमला, करीब 22 साल पहले पड़ोसी...
भारतीय हाकी के वजूद की जंग थी 2001 जूनियर विश्व कप : ठाकुर

भारतीय हाकी के वजूद की जंग थी 2001 जूनियर विश्व कप : ठाकुर

भारत को पंद्रह बरस पहले एकमात्र जूनियर हाकी विश्व कप दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले अनुभवी फारवर्ड दीपक ठाकुर का मानना है कि भारतीय हाकी का अस्तित्व बचाने के लिये वह टूर्नामेंट एक जंग की तरह था और सुविधाओं के अभाव में भी हर खिलाड़ी के निजी हुनर के दम पर टीम ने नामुमकिन को मुमकिन कर डाला।
2001 की श्रृंखला संभवत: सबसे यादगार थी – पोंटिंग

2001 की श्रृंखला संभवत: सबसे यादगार थी – पोंटिंग

आस्ट्रेलिया के पूर्व कप्तान रिकी पोंटिंग ने आज कहा कि भारत में 2001 में खेली गई टेस्ट श्रृंखला उन सबसे यादगार श्रृंखलाओं में से एक थी जिनमें वे खेले थे।
सावधान : 57 % डॉक्‍टर बिना मेडिकल क्वालिफिकेशन के कर रहे आपका ईलाज

सावधान : 57 % डॉक्‍टर बिना मेडिकल क्वालिफिकेशन के कर रहे आपका ईलाज

विदेशों में शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य को जीवन का सबसे महत्‍वपूर्ण पहलू माना जाता है। लेकिन इससे उलट हमारे देश में इन दोनों क्षेत्रों पर घोर लापरवाही की जाती है। इसका एक सटीक उदाहरण विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की एक रिपोर्ट में आपको मिल सकता है।
शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

शिशिर की शर्वरी हिंस्र पशुओं भरी

बढ़ती कन्या भ्रूण हत्या के अलावा आउटलुक के अस्तित्व के इन 12 वर्षों में भारतीय समाज की दूसरी हिंसा कृषि संकट और बढ़ते शहरीकरण के प्रसंग में दिखती है। सन 2001 के पूर्ववर्ती दशक में शहरी आबादी 6.18 करोड़ बढ़ी थी जो 2001 से 2011 के बीच 9.1 करोड़ बढ़ी। ग्रामीण आबाद 2001 के पूर्ववर्ती दशक में 11.3 करोड़ बढ़ी थी लेकिन 2001 से 2011 के बीच यह सिर्फ 9.06 करोड़ बढ़ी। यानी शहरी आबादी वृद्धि दर के मुकाबले ग्रामीण आबादी वृद्धि दर कम हुई। यानी आजीविका के अभाव में या विभिन्न परियोजनाओं के चलते बड़ी संख्या में ग्रामीण आबादी उजडक़र शहरों में आई। यह तर्क दिया जा सकता है कि विकास के कारण ग्रामीण आबादी की गतिशीलता बढ़ी और वह शहरों में बेहतर अवसर तलाशने आई इसलिए इसे आपदा-पलायन नहीं कह सकते। लेकिन इस दौरान शहरों में भी संगठित रोजगार घटा यानी गांवों से शहरों में होने वाला आव्रजन आपदा-पलायन ही था। यही कृषि संकट का भी दौर रहा जब देश में बड़े पैमाने पर किसानों ने आत्महत्या की।
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