इस 36 वर्षीय आदिवासी गलेडसन डुंगडुंग को समझ में नहीं आ रहा कि आखिर उसे इस तरह से क्यों ऑफलोड यानी हवाई यात्रा नहीं करने दी गई। झारखंड की राजधानी रांची में आदिवासियों के मानवाधिकार पर काम करने वाले गलेडसन को लंदन जाना था पर्यावरण की राजनीति परहो रहे अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शिरकत करने के लिए। सारी प्रक्रिया नियमों के हिसाब से करने के बाद जब वह दिल्ली के अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर जहाज पर बैठने जा रहे थे, तब अचानक उन्हें बताया गया कि उनके पासपोर्ट में गड़बड़ी है और वह यात्रा नहीं कर सकते।
लेखक और झारखंड ह्यूमन राइट्स मूवमेंट से जुड़े मानवाधिकार कार्यकर्ता गलेडसन ने आउटलुक को बताया कि यह घटना 10 मई की है और उन्हें आशंका है कि आगे भी उन्हें आदिवासियों और पर्यावरण के बारे में बोलने से रोका जाएगा। वह लंबे समय से आदिवासियों की जमीन बचाने, उनके मानवाधिकारों की रक्षा के लिए काम कर रहे हैं। ग्रीन पीस संस्था की कार्यकर्ता प्रिया पिल्लै को भी इसी तरह से लंदन जाने से रोका गया था। उस समय हंगामा ज्यादा मचा था। इस बारे में गलेडसन का कहना है कि वह चूंकि आदिवासी हैं और दिल्ली के नहीं है, लिहाजा उन्हें रोकने के खिलाफ ज्यादा चर्चा नहीं हुआ। लेकिन फिर भी उन्हें यह समझ नहीं आ रहा कि क्या वह भारत सरकार के लिए सुरक्षा खतरा हो गए हैं या सरकार यह नहीं चाहती कि वह इस अंतर्राष्ट्रीय सेमिनार में शिरकत करे। खड़िया जनजाति के गलेडसन का कहना है कि झारखंड सहित देश के तमाम आदिवासी बहुल इलाकों में प्राकृतिक संपदा की जो लूट चल रही है, उसके खिलाफ उठने वाली आवाजों को दबाने की कोशिश हो रही है।
इससे पहले 2013 में भी गलेडसन का पासपोर्ट जब्त कर लिया गया था लेकिन बाद से सारे आरोप निराधार पाए गए और उन्हें पासपोर्ट लौटा दिया गया खा। इसके बाद वह दो बार विदेश यात्रा भी कर चुके लेकिन अब फिर उन्हें इस तरह से रोकने की कोशिश की गई।