पश्चिम बंगाल ,बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड आदि देश के विभिन्न राज्यों से जीवन के उत्तरार्ध में आकर वृंदावन में भजन कीर्तन करते हुए दिन बिताने वाली विधवा महिलाएं अब समाज से अलग-थलग रहकर उसी तरह सामाजिक एवं सास्कृतिक जीवन शैली अपनाने लगी हैं।
उन्होंने सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं से मिले सहयोग के बूते परिजनों का सहारा मिलने की आस छोड़ खुद ही एक दूसरे के साथ जीवन की खुशियां जुटाना और प्रफुल्लित होकर उनका इजहार करना सीख लिया है। तीन वर्ष पूर्व सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाली संस्था सुलभ इंटरनेशनल ने वर्ष 2013 में पहली बार इन्हें होली मनाने का मौका दिया था।
सुलभ इंटरनेशनल के मीडिया सलाहकार मदन भुझ बताते हैं कि न केवल होली, बल्कि यह विधवाएं दिवाली आदि जैसे त्योहार भी खुशी से मनाने लगी हैं। सुलभ की उपाध्यक्ष विनीता वर्मा ने बताया सुलभ इंटरनेशनल तो अगस्त 2012 से ही उन्हें समाज की मुख्य धारा में लाने के हरसंभव प्रयास कर रहा है।
फाउंडेशन के चेयरमेन एसपी सिंह ने बताया संस्था वृंदावन उत्तराखंड एवं वाराणसी की सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार ।,000 विधवाओं को 2,000 रूपये भोजन भत्ता देने के अलावा स्वाभिमान पूर्वक जिंदगी के लिए कई प्रकार के प्रशिक्षण भी दिलाता है, जिससे उन्हें किसी के भी सामने हाथ फैलाना की जरूरत नहीं पड़े। उन्होंने बताया, इस बार होली का कार्यक्रम ठा गोपीनाथ मंदिर में होगा जिसमें सुलभ के संस्थापक डॉ. विंदेश्वर पाठक भी भाग लेंगे।