संसद के शीतकालीन सत्र के पहले ही दिन पक्ष और विपक्ष के बीच जमकर टकराव देखने को मिला। दूसरे दिन भी हंगामे के आसार हैं और वो इसलिए क्योंकि राज्यसभा से 12 सांसदों को निवंबित कर दिया गया है। सांसदों के निलंबन पर विपक्ष लामबंद हो गया है। इसे लेकर विपक्षी दलों के नेताओं ने संसद में राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे के कार्यालय में भी बैठक की। वहीं अब संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि अगर अपने बर्ताव के लिए सांसद माफी मांगें तो निलंबन वापसी पर विचार हो सकता है।
सांसदों के निलंबन पर विपक्ष ने एक संयुक्त बयान जारी किया है। इसमें कहा गया है कि ये निलंबन राज्यसभा की प्रक्रिया और कार्य संचालन ने नियामों का उल्लंघन करता है।
लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि सत्र को बहिष्कार किए जाने को लेकर मेरे पास कोई जानकारी नहीं है। 12 सांसदों के निलंबन को लेकर बैठक है। जो भी निर्णय इस बैठक के बाद लिया जाएगा उसे हम मानेंगे।
कांग्रेस सांसद अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि राज्यसभा से 12 सांसदों को निवंबित करने से भाजपा मेजोरिटी में आ गई है। इससे वो राज्यसभा में आसानी से बिल पास करवा सकती है। उन्होंने कहा कि संसदीय लोकतंत्र के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ। ये पूरी तरह से अलोकतांत्रिक और असंवैधानिक कदम है।
केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जिन भी मुद्दों पर विपक्ष बहस या चर्चा चाहता है उसके लिए सरकार तैयार है। उसके लिए नोटिस दिया जाता है। सरकार ने तो कभी कहा ही नहीं कि हम चर्चा नहीं करने देंगे।
बता दें कि लोकसभा में आज हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट जज (वेतन और सेवाओं की शर्तें) संशोधन विधेयक 2012 पेश होगा। इसके अलावा सहायक प्रजनन प्रोद्योगिकी (विनियमन विधेयक) की सदन के पटल पर रखा जाएगा। वहीं राज्यसभा में बांध सुरक्षा बिल पेश किया जाएगा।